पवित्रा छन्द

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bhagat
लीला  लीलाधर  करता।
माया  में  मानव  मरता॥
माया लीला महँ उलझा।
लीला माया नहँ समझा॥
जानो लीलाधर अब तो।
मानो  मायावर  अब तो॥
माया  लीलाकर  वश में।
लीलाधर  माया  कश में॥
बोलो  लीलाधर जय हो।
बोलो  मायावर जय  हो॥
माया  दासी  चरण खिले।
लीला  कारी शरण मिले॥
छोड़ो सारा  भरम यहाँ।
जोड़ो  नाता  परम वहाँ॥
जानो वो तारक सबका।
मानो वो  हारक सबका॥

                                                                         #भगत ‘सहिष्णु’

परिचय : भगत टेलर ‘सहिष्णु’ प्रतापनगर (राजस्थान)में रहते हैं और प्रतियोगी शिक्षण कथा प्रवचन का व्यवसाय करते हैं। आप हर प्रकार के लेखन में सक्रिय हैं।

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