
कभी खामोश सा एक
तनहा सुरमई बादल दुआओं सा आँचल से
लिपट जाता है
कभी सितारों जड़ी मखमली रात के गालों
पर नज़र का टीका लगा
जाता है
झिलमिल चांदनी का एक प्यारा सा कतरा
संदली हवाओं के झोंकों संग तुम्हारी याद
दिलाता है
बरसती बारिश की रिमझिम बूंदों में लिपटा
तुम्हारा भीगा भीगा रेशमी अहसास
सुर्ख़ गुलाबों में महक बन बिखर जाता है
ये दिल कभी चांदनी की
झील में बहते नूर के सैलाब में तुम्हें तलाशता है
कभी लहराते नीले सागर में पिघलती सिंदूरी सांझ
की अबीरी लाली में
तुम्हारा अक्स तलाशता है
जब भी बांसुरी की मीठी
सी धुन फ़िज़ाओं में गूंजती है
सितारों से बरसती मन्नतों
सा तुम्हारा खूबसूरत ख़्वाब मेरी पलकों की
देहलीज़ पर ठहर जाता है
- रंजना फतेपुरकर, इन्दौर