साथ मेरे आइए

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sumit
दूसरों के गम मिले तो बाँटिए।
नेकियों के बीज बोते जाइए।।
क्यों अँधेरों में भटकते रात दिन।
खोल के दिल रोशनी में जाइए।।
लौट कर तीर-ए-ज़ुबाँ आता नहीं।
जहर बातों में न अपनी डालिए।।
ज़िंदगी खुद रंगों से भर जाएगी।
इक दफा तो दिल लगा कर  देखिए।।
जिंदगी का है बड़ा लंबा सफर।
दो कदम तो साथ मेरे आइए।।
क्या करेंगे रख के तेरी याद को।
यादें अपने साथ ही ले जाइए।।
बिन तेरे ये कारवाँ रुक जाएगा।
ये वहम दिल में न अपने पालिए।।

                                                                             #सुमित अग्रवाल

परिचय : सुमित अग्रवाल 1984 में सिवनी (चक्की खमरिया) में जन्मे हैं। नोएडा में वरिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत श्री अग्रवाल लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य,कविता,ग़ज़ल के साथ ही ग्रामीण अंचल के गीत भी लिख चुके हैं। इन्हें कविताओं से बचपन में ही प्यार हो गया था। तब से ही इनकी हमसफ़र भी कविताएँ हैं।

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