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वो आकाश, वो चांद, वो सितारे,
छत पर सोते देखे थे हमने नजारे ।
अब कहां वो सब हमारे नसीब में,
बहुमंजिलोंं में बदल गऐ घर हमारे ।
जिन्दगी जी रहे हम भागदोड में,
दिमाग चल रहा अब जोडतोड में ।
कहाँँ रहे अब वो मस्त हंसीठहाके,
खुद को भूला बैठा दुसरों से होड में ।
#महेश पंचौली
परिचय-
नाम-: महेश पंचौली
साहित्यिक उपनाम-पंचौली
वर्तमान पता-: कोटा,राजस्थान
शिक्षा-स्नातक
कार्यक्षेत्र-कोटा
विधा -सभी में
सम्मान-कलम शिरोमणी,साहित्यकार सम्मान
अन्य उपलब्धियाँ-पुस्तको व पत्रिकाओं में प्रकाशन,आकाशवाणी से प्रसारण,काव्यमंचो में भागीदारी,काव्यगोष्ठीयों का संचालन
लेखन का उद्देश्य-समाज में जाग्रति
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