भटकन

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विनीत आज खुशी से फूला नहीं समा रहा था । घर के सभी लोग भी प्रसन्न नजर आ रहे थे । इस खुशी का राज था विनीत का रश्मि से विवाह होना । रश्मि थी ही ऐसी लड़की । विनीत उसके रंग – रूप देखकर ही उस पर मुग्ध हो गया था । बड़ी बहू तो घर का कोई काम नहीं करती थी । सारा दिन टी.वी. के आगे बैठा रहती । बेचारी वृद्ध मां और विनीत की छोटी बहन को घर का सारा काम करना पड़ता । विनीत की मां ने सोचा था कि बड़ी बहू तो कुछ करती नहीं , छोटी बहू तो इस उम्र में उसे आराम अवश्य देगी । यह सोचकर ही उसकी मां ने रश्मि को पसंद किया था ।
विनीत रश्मि को पाकर फूला नहीं समा रहा था । मानो उसे सारे जहां की खुशियां मिल गयी हो । वह सारा दिन रश्मि के आगे – पीछे मंडराता रहता । रश्मि से वह एक पल के लिए भी अलग नहीं रहना चाहता था ।
विनीत की बहन खुशबू कहती – ” भैया , सारा दिन आप ही भाभी से बातें करते रहोगे या हमें भी कुछ पल उनके साथ रहने का मौका दोगे । “
यह सुनकर विनीत एकदम शरमा जाता और कहता – ” हां , हां , जाओ न तुम भी भाभी के पास बैठो । “
रश्मि जब से इस घर में आयी है , खुशियों की बहार आ गयी है । विनीत भी अब अपने दोस्तों से बहुत कम मिलने – जुलने लगा था । वह दिनभर कमरे में बैठा रश्मि के रूप को निहारता रहता । वह मुस्कुराकर कहता – ” रश्मि , जबसे तुम मेरी जिंदगी में आयी हो , जीने का मकसद मिल गया है । तुम मुझे यूं ही प्यार करते रहना । मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता हंू । वरना मैं तुम्हारे बगैर टूटकर बिखर जाऊंगा । “
रश्मि उसके बालों को सहलाते हुए कहती – ” विनीत , मैं तुमसे अलग होकर नहीं रह सकती । एक पल के लिए भी जब तुम मेरे आंखों से ओझल हो जाते हो ,तो मैं बेचैन हो जाती हूं । भगवान करे कि हमारे इस प्यार को किसी की नजर न लगे । “
विनीत भी उसे एकटक निहारते हुए कहता – ” रश्मि , मुझे तुमसे यही उम्मीद है कि तुम मेरा साथ जीवनभर निभाओगी । लेकिन रश्मि तुम्हें अब इस घर के तौर – तरीके के अनुसार चलना होगा । तभी हमारा वैवाहिक जीवन सफल हो पाएगा । अब तुम इस घर की इज्जत हो । इस घर की मान – मर्यादा अब तुम्हारे हाथों में है । “
” विनीत , तुम बेकार में परेशान हो रहे हो । मैं मां जी की खूब सेवा करूंगी । उन्हें कोई काम नहीें करने दूंगी । ननद को छोटी बहन की तरह मानूंगी । इस घर के माहौल में घुलने का प्रयास करूंगी ताकि घर में शांति बनी रहे । मैं बड़ी दीदी की तरह घर का माहौल बिगड़ने नहीं दूंगी । मैं इस घर को एक आदर्श घर बनाऊंगी । इस घर में खुशियों की बहार होगी । “ रश्मि एकदम गंभीर स्वर में बोली ।
यह सुनकर विनीत उसे अपनी बांहों में भर लिया । लेकिन रश्मि शरमाकर कहती – ” छोड़ो न कोई देख लेगा । तुम सारा दिन मेरे पास रहते हो । घर वाले क्या सोचेंगे ? मेरे कारण तुम अपने काम और दोस्तों से भी मिलना – जुलना कम कर दिये हो । सारा दिन मुझे ही प्यार करते रहोगे या कोई काम – धंधा भी करोगे ? क्या प्यार से ही पेट भर जायेगा ? आखिर तुम कितने दिन निक्कमे बनकर रहोगे ?आखिर कब तक अपने मां – बाप के ऊपर बोझ बनकर रहोगे ?
यह सुनकर विनीत कहता – ” जानेमन , कुछ दिन तो मौज – मस्ती कर लेने दो । जब मुझे कोई काम मिल जाएगा , तो फिर तुम मेरेे दीदार के लिए तरस जाओगी । मेरे सभी दोस्ती मतलबी हैं । मेरी दोस्त तो अब तुम हो । मेरा जीना – मरना तो अब तुम्हारी बांहों में है । “
इतने में कमरे में सरोज भाभी प्रवेश घुस आयी। विनीत कमरे से बाहर निकल गया । उसे सरोज भाभी का रश्मि के कमरे आना अच्छा नहीं लगा । उसे लगने लगा कि अब उसके वैवाहिक जीवन में भूचाल आने वाला है । अब सरोज भाभी अपनी तरह रश्मि को भी बनाने का प्रयास करेगी । वो अपने पति को तो पति ही नहीं समझती । जब काम करने को कहा जाता है , तो वह तबियत खराब होने का बहाना दिया करती । वह खाना भी ऐसी बनाती थी कि उस खाने को जानवर भी खा नहीं सकता । मजबूरन खाना मां को ही बनाना पड़ता था । मां अक्सर बीमार रहती थी और ऐसी हालत में भी वह खाना बनाती और बर्तन मांजती थी। छोटी बहन खुशबु ही है जो मां के काम में हाथ बंटाती थी । इन्हीं परेशानियों के कारण मां को विनीत की शादी करनी पड़ी थी । अब उसे एहसास हो गया था कि उसके वैवाहिक जीवन को तबाह करने के लिए मंथरा का प्रवेश हो गया है ।
शाम को विनीत अपने दोस्तो से मिला । दोस्तों ने पूछा – ” लगता है भाभी जी कुछ अधिक ही तुम से चिपकी रहती है ं । भाभी जी के प्यार में हम लोगों को भी भूल गये हो । कभी हमें भी भाभी से मिलवाओ । भाभी जी के हाथों से कम से कम चाय तो पिलवा दो । “
विनीत कहता – ” नहीं , ऐसी कोई बात नही । बस ! घर के कामों से ही फुर्सत नहीं मिलता । “
फिर विनीत ने अपनी पत्नी के प्रशंसा के पुल बांधते हुए कहता – ” हां , रश्मि मुझे बहुत प्यार करती है । वह मुझसे एक पल के लिए भी जुदा नहीं होना नहीं चाहती । वही आजकल घर को संभाल रही है । मेरे घर को उसने स्वर्ग बना दिया है । घर में खुशियां ही खुशियां लेकर आयी है रश्मि । “
तभी मनोज मुस्कुराकर बोला – ” कहीं तुम्हारा अधिक प्यार उसे रास्ता न भटका दें । रश्मि को इतना भी प्यार न दो कि वह स्वर्ग बने घर को नर्क न बना दें । घर को स्वर्ग से नर्क में बदलते देर नहीं लगती । आजकल की मंथराओं से भाभी जी को दूर ही रखना । वरना आज की ये मंथराएं किसी के भी वैवाहिक जीवन में जहर घोलने में कोई कसर नहींे छोड़ती । घर को स्वर्ग से नर्क में तब्दील करने में ये मंथराएं माहिर होती हैं । ”
रात को जब विनीत घर तो उसे घर का माहौल कुछ अजीब – सा लगा । वह रश्मि के कमरे में गया , तो देखा कि रश्मि बिस्तर पर पड़ी थी । उसने उसके करीब जाकर पूछा – ” क्या बात है रश्मि ? “
” कुछ तबियत ठीक नहीं लगती । मुझे आराम करने दो । वैसे भी सारा दिन अकेली काम करते – करते थक जाती हूं । अब मुझसे कोई काम नहीं होगा । तुम अपनी मां से कह दो कि वह कोई काम वाली बाई रख लें । “
विनीत यह सुनकर दंग रह गया । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर रश्मि को क्या हो गया ? रश्मि में इतना बदलाव कैसे आ गया ? रश्मि में आ रहे बदलाव को विनीत पचा नहीं पा रहा था ।
विनीत बोला – ” रश्मि , तुम्हें इस घर में आये अभी एक महीना भी नहीं हुआ और तुम में बदलाव आना शुरू हो गया । जानती हो घर की हालत ठीक नहीं है । घर में कमाने वाले एक पिता जी ही हैं । उन्हीं की कमाई से घर का खर्च चल रहा है । हम लोग कोई लाखपति नहीं हैं जो काम करने वाली बाई रखें । बहन की अभी शादी भी करनी है । उसके लिए भी कुछ पैसे जुटाकर रखने हैं । कहीं सरोज भाभी ने तो तुम्हें ……। “
यह सुनकर रश्मि एकदम बिफरकर बोली – ” तुम लोगों को शक की बीमारी हो गयी है । सरोज भाभी मेरे पास क्या आ गयी कि तुम लोगों को जलन होने लगी ? “
विनीत गंभीर स्वर में बोला – ” रश्मि , वह है ही ऐसी औरत । तुम उनकी बातों में न आया करो । वरना वह हमारे सुखी जीवन में जहर घोल देंगी । वे तो अपना जीवन नर्क बना ही चुकी है । अब हमारे सुखी जीवन को नर्क बना देगी । “
लेकिन रश्मि पर इन बातों का कोई असर नहीं हुआ । वह भी सरोज भाभी के बताए रास्ते पर चलने लगी थी । वह सारा दिन आराम फरमाती रहती । वह विनीत से भी अच्छी तरह बात नहीं करती । विनीत रश्मि के इस बदलाव को देखकर दंग था । रश्मि जो विनीत को एक पल के भी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देती थी । वह रश्मि अब विनीत को देखना तक पसंद नहींे करती थी । वह सारा दिन सरोज भाभी के कमरे में बैठी गप्पें लड़ाती रहती थी । विनीत रश्मि के इस व्यवहार से काफी दु: खी था । वह भीतर ही भीतर टूट रहा था । उसकी जिंदगी में भूचाल आ गया था ।
आज विनीत की मां की तबियत कुछ अधिक खराब थी । खुशबू ने ही घर का सारा काम निपटाया था । विनीत को यह देखकर काफी दु: ख होता कि उसकी मां – बहन को उसकी पत्नी से कोई आराम नही है । रश्मि भी सरोज भाभी की राह पर चलने लगी थी । उसने भी रश्मि से बोल – चाल बंद कर दिया था ।
आज रश्मि का भाई सुदीप आया था । रश्मि भाई के लिए बड़े प्यार से विनीत से बोलीे – ” सुदीप आया है , बाजार जाकर कुछ मिठाई ला दो । “
यह सुनकर विनीत का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और बोला – रश्मि , तुम कितनी स्वार्थी हो गयी हो । आज जब तुम्हारा भाई आया है ,तो तुम भाग – भागकर भोजन बना रही हो । उसकी सेवा – सत्कार में लगी हुई है । मां बिस्तर पर पड़ी है , उसे देखने वाला कोई नहीं है । मैं पिछले तीन दिनों से ठीक से भोजन नहीं कर पाया हूं । मुझे भी देखने वाला कोई है । वह तो बेचारी खुशबू है जो दिन – रात सबका ख्याल रखती है । तुम बिस्तर पर पड़े – पड़े भोजन करती हो । आज जब तुम्हारा भाई आया है , तो तुम एकदम स्वस्थ हो गयी हो । क्या आज तुम्हारी तबियत खराब नहीं है । मैं नहीं जाता बाजार से मिठाई लाने । “
रश्मि के तन – मन में मानो आग लग गयी । बोली – ”तुम्हारी मां की तो रोज ही तबियत खराब रहती है । मेरा शरीर क्या स्टील का बना है जो सारा दिन मैं ही खटती रहूं । मुझसे नहीं होगी तुम्हारी मां की सेवा , कोई काम वाली रख लो । “
” तो ठीक है आज से मेरा और तुम्हारा भी कोई रिश्ता नहीे रहा । आज से तुम सरोज भाभी और अपने भाई को ही साथ लेकर रहो । “ इतना कहकर विनीत कमरे से बाहर निकल गया ।
विनीत को आज रश्मि से अलग हुए एक महीना हो गया था । लेकिन वह अभी तक रश्मि के प्यार को भूल नहीं पाया था । वह सोच रहा था कि रश्मि एकाएक इतना बदल कैसे गयी ? उसने विनीत से वादा किया था कि वह इस घर को स्वर्ग बना देगी । सास – ससुर की सेवा करेगी । ननद को छोटी बहन की तरह प्यार करेगी । कहां गये उसके वादे ! वह तो घर के बंटवारे पर तूली हुई थी । घर में रोज झगड़े होते रहते थे । अब यह घर नर्क से भी बदतर हो गया था ।
रश्मि भी उसके सामने झुकने को तैयार नहीं थी । वह भी विनीत से अलग होकर एकांत कमरे में पड़ी रहती थी । उसकी खुशियों भरी जिंदगी में सरोज भाभी ने जहर घोल दिया । वह रोज की चिक – चिक से परेशान हो चुका था । वह घर में एक पल भी रहना नहीं चाहता था । घर में उसे घुटन महसूस होती थी । यह घर उसे काटने को दौड़ता था । लेकिन वह घर छोड़कर कहां जाएं ? वह घर छोड़कर चला गया , तो उसकी मां – बहन को कौन देखेगा । भाइया तो जोरू के गुलाम बने हुए हैं । भाईया को सरोज भाभी जो कहती हैं , वह वही करते हैं । “
उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि आखिर वह करे तो क्या करें ? कैसे रश्मि को समझाएं । वह सारा दिन अकेला कमरे में पड़ा यही सब सोचता रहता । आज वह अपने दोस्तों के साथ बैठा रश्मि के बारे में ही सोच रहा था । उसे उदास देखकर विवेक बोला – ” विनीत , क्या बात है ? आजकल तुम उदास – उदास रहते हो । रश्मि से झगड़ा हुआ है क्या ? “
विनीत निराश स्वर में बोला – ” क्या बताऊं विवेक , रश्मि एकदम बदल गयी है । वह मेरा कोई बात नहीं मानती । घर का कोई काम – धाम नहीं करती । सारा दिन बिस्तर पर पड़ी रहती है । मैंने भी उससे अलग रहने का फैसला कर लिया है । वह बात – बात पर मुझे झिड़क देती है । “
विवेक बोला – ” निराश क्यों होते हो , विनीत । इस प्रकार रश्मि से संबंध तोड़ लेने से क्या समस्या का समाधान हो जाएंगा । उसे समझाने का प्रयास करो । शायद वह किसी के बहकावे आ गयी हो । “
विनीत बोला – ” तुम ठीक कहते हो । जब से मेरी भाभी ने उससे मिलना – जुलना शुरू किया , उसी दिन मैं समझ गया था कि वह मेरे वैवाहिक जीवन को नरक बना देगी । उनका तो वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है । अब मेरा वैवाहिक नरक बनाने पर तुली हुई हैं । मैं आज ही रश्मि को समझाने का प्रयास करूंगा । “
विनीत जब रश्मि के कमरे में गया तो रश्मि सिसक रही थी । वह रश्मि के हाथों को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगा । लेकिन रश्मि ने अपने हाथ उसके हाथ से छुड़ा लिया और उठकर बैठ गयी ।
विनीत बोला – ” रश्मि , क्या हुआ इस प्रकार अलग – अलग रहने से हमारा वैवाहिक जीवन सुखी हो पाएगा । तुम सरोज भाभी के बहकावे में आकर अपना जीवन नरक मत बन बनाओ । इस घर में तुम्हें किसी चीज की कमी है क्या ? जो तुम मेरे और मेरे परिवार के साथ ऐसा व्यवहार कर रही हो । तुममें इतना बदलाव कैसे आ गया ? तुमने कहा था कि तुम इस घर को स्वर्ग बनओगी । लेकिन तुम तो इस घर को नरक बनाने पर तुली हुई हो । “
रश्मि धीमें स्वर में बोली – ” तुमने भी तो मेरा साथ छोड़ दिया है । मैं अकेली दिन – रात पड़ी रहती हूं । रात में नींद नहीं आती । सारी रात तुम्हारे बारे में सोचती रहती हूं । क्या मैं भी तुम्हारे बिना सुखी हूं । मुझे भी तुम्हारे बगैर अच्छा नहीं लगता । मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकती , विनीत । विनीत इस घर में रहते हुए भी मेरे अरमान पूरे नहीं हो सकते। तुम मुझे लेकर कहीं और चलो । नही तो तुम अपनी मां से अलग हो जाओ । मैं तुम्हारी मां की सेवा नहीं कर सकती । वे तो रोज बीमार ही रहती हैं । वो बीमारी का नाटक करती हैं और घर का इतना सारा काम मुझसे नहीं होगा । मैं भी एकदम आजाद रहना चाहती हूं । “
यह सुनकर विनीत दंग रह गया और बोला – ” रश्मि , तुम्हें क्या हो गया है । तुम आजाद रहना चाहती हो तो मैं तुम्हें अपनी जिंदगी से ही आजाद कर दंूगा । तुम्हारा यह कहना कि मैं घर में बंटवारा करवा दूं तो यह असंभव है । जिस मां ने मुझे पाल – पोसकर इतना बड़ा किया । उसे मैं कैसे इस हालत में छोड़ सकता हूं । सोचो कल तुम्हारी भी बहू आएगी और जब वह भी तुम्हारे बेटे से ऐसा कहेंगी तो तुम्हें कैसा लगेगा । कोई जान – बूझकर थोड़े ही बीमार रहना चाहता है । मेरी मां सचमुच बीमार रहती है । वह बीमारी का नाटक नहीं करती । मेरी मां ने तुम्हें कितने अरमान से अपने घर की बहू बनाया था , लेकिन तुमने तो उसके अरमानों पर पानी फेर दिया । मां तुम्हारी कितनी प्रशंसा करती थी और आज भी तुम्हारी बुराई नहीं सुनना चाहती । खैर तुम्हारी मर्जी ? अब मैं और अधिक परेशान नहीं होना चाहता । यदि तुम इस घर में नहीं रहना चाहती , तो मैं तुम्हें तालाक देने को तैयार हूं । आज के बाद मेरा तुम्हारा कोई संबंध नहीं होगा । मैं तुुम्हारे बगैर जी लूंगा । आज से तुम आजाद हो । “
यह सुनकर रश्मि के पैरों तले से जमीन खिसक गयी । वह बोली – ” विनीत , तुम ऐसा नहीं कर सकते । तुम मुझे छोड़ नहीं सकते । मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं सकती । मुझे कौन सहारा देगा । आज तुमने मेरी आंखें खोल दी । मैं सरोज भाभी के बहकावे में आ गयी थी । मैं ही गलत थी विनीत । मुझे माफ कर दो । मुझे तुम्हारे साथ जीवन बिताना है न कि सरोज भाभी के साथ । मुझे किसी चीज की आवश्यकता नहीं , विनीत । मैं तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी । मैं सरोज भाभी को भी सही रास्ते पर लाने का प्रयास करूंगी । मैं इस घर को टूटने नहीं दूंगी । तुम मेरा साथ मत छोड़ना , वरना मैं टूटकर बिखर जाऊंगी । मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है । मैं रास्ता भटक गयी थी । “
और वह विनीत की बांहों से लिपट गयी । विनीत को लगा जैसे उसे खुशियों की सौगात मिल गयी हो । वह रश्मि को अपनी बांहों में समेट लिया ।
पुष्पेश कुमार पुष्प
बाढ़ ( बिहार )

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।