बहती शवें , मानवीय सभ्यता का अमानवीय रूप

0 0
Read Time4 Minute, 42 Second

कोरोना काल ने हमें मानव सभ्यता का वह अमानवीय दृश्य दिखाया है जिसे हमारी सभ्यता क्रूर कहती है।नदियों में बहती लाशें, रेतो में दफन लाशें, जिसका अंतिम संस्कार तक नहीं हुआ आखिर ये लाशें कैसे आयी? और कहाँ से आयी? यह विषय नही हो सकता हां यह जरूर हो सकता है कि यह अमानवीय कृत है । क्या सरकारें आंकडे छिपाने के लिए लाशों को नदी में बहा रही है अथवा हम इतने असमर्थ हो चुके हैं कि अंतिम संस्कार किये वगैर विसर्जित कर रहे।दोनो ही कृत अमानवीय है।

“वो जिनके अपने चले गये
वो जिनके सपने चले गये
इस कालरूपी तांडव ने देखी
अपनो की बहती लाशें “

पिछले दिनों नदियों में सैकड़ो बहती लाशो ने प्रशासन और सरकार दोनो पर सवालिया निशान खडा किया है।आखिर कैसे और क्यूँ इतनी तादाद में लाशें आयी। उन तमाम सरकारों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि बहाने के पूर्व उनका संस्कार हो आखिर यह हिन्दुस्तान है और यहां की आबादी हिन्दु बाहुल्य है ऐसे में यह बहती लाशें उन तमाम हिन्दुओं पर तमाचा है जो सही मायने में राष्ट्रभक्त हैं।

सवाल यह नही कि कौन सी सरकारें ने ऐसा किया सवाल यह है कि ऐसी विकृत तस्वीर देश में देखने को मिली।कारण अनेको हो सकते हैं लेकिन जब सभी प्रकार की टेक्नोलॉजी है फिर किसने बहाया और कैसे बहाया उसकी तस्वीर क्यों नहीं? जब बैठे बैठे हम देश विदेश की तस्वीर खीचने और निगरानी करने का दम भरते हैं तो कैसे मुमकिन है कि लाशें गंगा या और नदियों में बहे और सरकार को मालूम न हो ।

“निगल रहे शहर- दर- शहर
फैल रहे अब गांव-गांव
कान में हर ओर सुनाई दे
करोना का वेर्दद कहर”

सरकारें अपनी नाकामी छिपाने का लाख प्रयास करे लेकिन सच्चाई कभी छिपती नहीं।हम कोरोना से लड़ने में चूक किए है । इसे सरकारों को स्वीकार करना होगा।आज भूखमरी एक गंभीर स्थिति है। वेरोजगारी चरम पर है, और सरकारें मौज में। आम जन जीवन को न आवश्यक सामान है और न ही प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएँ जिसे जहां मिले सिर्फ लाकडाउन के नाम पर लूट।क्या दूसरे देशों में कोरोना नही हुई वहां तो ऐसी विकृत स्थिति नहीं है।

हमारा सिस्टम पूरी तरह फेल रहा है।हमने कोई तैयारी नही की पिछले साल से कोई सबक नही लिया सरकार के स्तर पर सिर्फ ख्याली पुलाव पकते रहे न ऑक्सीजन , न वेंटिलेटर, न वेड न एम्बुलेंस और न ही दवाईयां आखिर किसकी चूक है राज्ये केन्द्र को और केन्द्र राज्य को बस इसी पशोपेश में पाच साल चले जाते रहे हैं जिसका नतीजा आज हमारी लाशों को चिल कौए नोच रहें हैं।ऐसी भयावह और विकृत तस्वीर दुनियां ने पहले नही देखी होंगी जो आज इन नदियों में बहती लाशें को देखकर महसूस हो रहा।आमलोग ठगे जा रहे जबकि सरकारें एक दूसरे पर तोहमत लगाती फिर रही है,आखिर क्यूँ? क्या नैतिकता कुछ भी शेष नही बची सरकारो में ? क्या प्रशासनिक कोई जिम्मेदारी नही कि शवो का संस्कार भी करा सके? देश की तमाम आयोगें स्वंय सेवी संस्थाएँ आज कहां सोई हैं ? आखिर यह जिम्मेदारी किसकी है?सरकार आम आवाम की दुख दूर करने के लिए होती है पर यहाँ तो लाशों पर राजनीति हो रही है, जो मानव सभ्यता का एक अभद्र आचरण कहा जाएगा ।

खामोश हो रही एक एक कर
हर शहर की आबादी
एक से दहाई से सैकड़ा
अब लाखों में
मौत के आगोश में आबादी।।

आशुतोष
पटना बिहार

matruadmin

Next Post

मां

Sat May 15 , 2021
माँ से बड़ा सुख नही माँ है पालनहार ईश्वर का प्रतिरूप है माँ जन्नत आधार जन्मदात्री,पालक मां प्रथम गुरु अधिनायक मां हमारे सब कष्ट हरती अपनी खुशियां न्यौछावर करती अपनी जान से ज्यादा चाहती बच्चों का फायदा निर्मल पावनधारा है मां आओ माँ का वन्दन करे ईश्वर का अभिनन्दन करे#श्रीगोपाल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।