कोरोना से बातचीत

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बड़े बड़े वैज्ञानिक डाक्टर और
शोधकर्ता आदि ने कोरोना से पूछा।
क्या तुम्हें पता नहीं हैं,
की देश के पाँच राज्य में चुनाव हैं।
कोरोना बोला आप चिंता मत कीजिये।
हम तो पांच राज्यों के अलावा
अभी बाकी राज्यों में व्यस्थ हूँ।
इसलिए दो मई तक जो भी करना हैं करो।
उसके बाद पांच की बारी हैं।
क्योंकि हमारे आका का जो हुक्म हैं।
जब तक मैं न बोलू वहाँ मत जाना।
और वैसे भी तुम्हें देखने को हमने
तीन धृतराष्ट्रो को देश में बैठा रखा हैं।
जो तुम्हें अच्छी तरह से देख रहे हैं।
और तुम्हारी हर हरकत पर
अच्छे से नजर रखे हुए हैं।
इसलिए कोरोना जी
भूलकर भी गुस्ताकी मत करना।
मैं तुम्हारा आका हूँ जानते हो ना
कि मैं क्या क्या कर सकता हूँ।
इसलिए सारे देशका तंत्र मंत्र
और प्रशासन मेरे को सिर झुकता हैं।
और तू तो सिर्फ कोरोना हैं
जिसको निमंत्रण मैंने ही दिया है।
मैंने तो अच्छों अच्छों को
अपनी झूठी वाणी और मायावी
भेषभूसा से निपटाया हैं।
तभी डरकर कोरोना बोला
मुझे सब कुछ पता हैं मेरे आका।
तभी तो जहाँ जहाँ आप होते हो
वहाँ वहाँ मैं कहाँ आता हूँ।।
आपके कारनामो का तो कहना ही क्या हैं। जैसे गटर से गैस पैदा करना
बमबारी करने का अलग तरीका।
पहले सैनिको मरवा दो
फिर राष्टृवाद का नाम दे दो आदि।
विश्व के तीन चार महान
व्यक्तियों को तुम निपटा चुके हो।
क्या मुझे भी आपसे बैर लेकर मरना है?
कोरोना बोला कि आप तो मेरे आका हो
मैं तो आपका दास हूँ जी।
अपनी कृपा दृष्टि इसी तरह से
हम पर बनाएं रखे।
और भारत में खेलने कूंदने दे जी।
खुद जियो और देशवासियों को
वोट देकर मरने दो जी।
मैं आका आपको और आपकी
नीतियों को भलीभती जानता हूँ।
इसलिए तो मैं आज कल आका
गुजरात मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश महाराष्ट्रा छत्तीसगढ़ और राजस्थान दिल्ली आदि
में ज्यादा ही व्यस्थ हूँ।
कोरोना बोला आका क्या
एक बात पूछ सकता हूँ।
क्या मानव रूप में भी कोई
इतना क्रूर इंसान हो सकता है?
जो अपनो के साथ साथ
दूसरो को भी खा रहा हैं।
आप तो कलयुगी भगवान हो आका।
इसलिए मैं आपको नतमस्तक करता हूँ।
और अपने को धन्य मान्यता हूँ की आपने हमें भारत में आने का मौका दिया।
आका मैं दिलसे धन्यवाद करता हूँ।
और आपकी छत्रछाया में
पलने पोषने का जो वरदान दिया।
जय जय हो मेरे आका
आपकी लीला अपरमपारा हैं।
आपके कारण ही मेरा जीवन
उद्यार है और आपका आभार है…।।

जय हिंद, जय भारत
संजय जैन, मुंबई

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।