इतना मत डूबो…

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देखकर दर्द को
कठोर से कठोर।
इंसान का पत्थर
दिल भी पिघलता है।
और हमदर्दी के दो
शब्द उसे बोलता है।
जिससे उसका दर्द
थोड़ा कम होता है।।

दौलत के नशे में
इतना मत डूबो ।
की समाने तुम्हें
कुछ दिखे ही नहीं।
क्योंकि रास्ते हमेशा
सीधे सीधे नहीं होते।
इसलिए उन्हें देख कर
ही चलना पड़ता है।।

मिट गई हस्तियां बड़े बड़े
साहूकारों और जमीरदारो की।
फिर भी ये संसार
आज तक चल रहा है।
और अपनी-2 करनी का
वो फल भोग रहे है।
और संसार चक्र में उलझकर
अपना जीवन जी रहे है।।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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