
हमारी अनेकों पुण्यताओं को एक पाप भी कलुषित कर जाता है, कुछ ऐसा ही इंदौर शहर के साथ हुआ। देश में नंबर 1 आने के यश व कीर्ति को पूरे शहर ने अपनी जिम्मेदारी समझकर स्वीकार किया। स्वच्छता लोगों के व्यवहार में आने लगी। मानसिकता में यह परिवर्तन देश में भी व्यापक रूप से देखा गया। परन्तु इस बार देश का नबंर 1शहर किसी और कारण से चर्चा में आ गया।
इंदौर नगर निगम द्वारा शहर के आश्रय हिन वृद्धों को कचरा वाहन में बैठाकर शहर से बाहर छोड़कर आने पर पूरे देश में इस कृत्य की आलोचना हुई। इंदौर नगर पूरे देश में स्वच्छता के नाम से जाना जाता है परन्तु नगर निगम कर्मियों के द्वारा जानवरो की तरह बुजुर्गों को इंदौर से बाहर क्षिप्रा नगर में छोड़े जाने की वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया, जन सामान्य में इस घटना का विरोध बढ़ने लगा। जब नगर निगम की यह हरकत की सूचना उच्च अधिकारियों तक पहुँची तो उनके भी कान खड़े हो गए। जिस इंदौर को देश का सिरमौर बनाने में पुरे इंदौर के प्रशासनिक अधिकारी व नगर निगम लगा रहता है, उसकी इस प्रकार की छवि कुछ निगम कर्मियों की अल्प विकसित मानसिकता के कारण मीडिया जगत में आना दुर्भाग्यपूर्ण है। इन आलोचना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने तुरंत कार्यवाही करते हुए नगर निगम उपायुक्त प्रताप सोलंकी को निलंबित कर दिया। वहीं दो अन्य निगम कर्मियों को भी बर्खास्त कर दिया गया है।
उच्च अधिकारियों ने इसे अपनी जिम्मेदारी मानते हुए। आवश्यक निर्देश निगम अधिकारियों को दिए। क्योंकि सुशासन व्यवहार में दिखना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि अधिकारियों व कर्मियों का व्यवहार जन सामान्य के प्रति स्नेह व सम्मान का हो। कलेक्टर इंदौर मनीष सिंह ने सपत्नीक खजराना गणेश में जाकर इस कृत्य के लिए भगवान की शरण में पहुँचे। उन्होंने विघ्न हर्ता से शीश झुका कर बुजुर्गों के अपमान पर क्षमा मांगी। क्योंकि अधिकारी होने के नाते हमारी जिम्मेदारी बनती है, निगम कर्मियों ने जो दुर्व्यवहार किया वह गलत था। इस अवसर पर आईजी हरिनारायणचारी मिश्रा भी सपत्नीक उपस्थित थे। आशा है अब मध्यप्रदेश में इस तरह का व्यवहार बुजुर्गों के साथ कभी ना हो।
मंगलेश सोनी
युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार
धार (मध्यप्रदेश)