गुलामी

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हम जात पात में पड़े रहेंगे।
और देश को बर्बाद करेंगे।
दूसरे देश प्रगति को चुनेंगे।
और विश्व में पहचान बनाएंगे।।

गये थे जब अंग्रेज देश से
तो जाती का बीज वो गये थे।
जिससे आपसी भाई चारा
देश में स्थापित न हो पाये।
और लड़ते रहो आपस में
जातीधर्म आदि के नाम पर।
जिस से भूल जाओगें
देश के प्रगति के पथ को।।

मिली आज़ादी भले ही हमें
पर हम आज भी गुलाम है।
पहले गोरो के कारण मरते थे।
अब उनकी काली औलाद के
कारण मर रहे है।
सही कहे तो गुलामी की
जंजीरो से नहीं निकल पाये है।।

पूरे विश्व पर राज कर रहे
आज भी गोरो जन।
हम उन की करते रहते है
आज भी चापलूसी।
कैसे वो अधिपति बनकर
बैठे है विश्व की शिखर पर।
हाथ फैलाकर मांगते रहते
हम उन लोगो से भिक्षा।।

सब कुछ होते हुए भी
सदा ही रोते रहते।
क्योंकि बेच दिया है
हमने अपने जमीर को।
देखो गोरो की एकता को
भिन्न-२ होकर भी एक है।
तभी तो बना रखा है
उन्होंने संयुक्त राष्ट्रा अमेरिका।।

पूरे विश्व पर हुकुम चला रहा
यही संगठन आज कल।
सारे देश बने बैठे है
इसके आगे चूहे।
जिसको चाहे ये नचाते
जिसकी चाहे गर्दन दवाते।
अपना आघिपत सब पर
यही लोग दिखाते रहते।।

करे देश जो विरोध इनका
युध्द उसी से करने लगते।
फिर सैन्य बल के कारण
अपने अधीन उसे कर लेते।
और गुलामी का चोला
उस देश को पहना देते।
फिर लूट संपदा उसकी ये
खुद की प्रगति कर लेते।।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)

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