Read Time3Seconds
अब विदाई की घड़ी आई।
बेटी हो रही है पराई।।
भीगी आँखें आँगन सूना।
माँ का दुख बढ़ता है दूना।।
सुंदर तेरा रूप सलोना।
तेरे बिन सूना हर कोना।।
माँ की बातें सदा सँजोना।
पिया के संग खुश ही होना।।
तेरी बातें याद करूँगी।
सारा जीवन खुशी रहूँगी।।
मायके की अब चिन्ता छोड़ो।
ससुराल संग नाता जोड़ो।।
रोना मत तुम बेटी रानी।
हर औरत की यही कहानी।।
बेटी तो होती है न्यारी।
साजन को लगती है प्यारी।।
पीहर का घर खूब सजाना।
बेटी बनकर फिर से आना।।
#डाॅ. राहुल शुक्ल ‘साहिल'
परिचय…डॉ.राहुल शुक्ल साहित्यिक जगत में `साहिल` के रुप में जाने जाते हैंl आप कला में स्नातक(इलाहाबाद)हैं, तथा २००८ में बीएचएमएस (ग्वालियर,मप्र)किया है l साहित्य क्षेत्र में उपलब्धि की बात करें तो स्थानीय पत्र–पत्रिकाओं में आपकी कविताएं प्रकाशित होती हैंl शिक्षित परिवार के डॉ.शुक्ल के जीवन का उद्देश्य-रुचि यही है कि,पिछड़े क्षेत्र एवं ग्रामीण–शहरी लोगों की चिकित्सकीय सेवा करेंl आप वैज्ञानिक अध्यात्मवाद में रुचि रखने के साथ ही हिन्दी साहित्य का अध्ययन व सकारात्मक लेखन करते हैंl कृतित्व में साझा काव्य संकलन है तो छन्दमुक्त कविता,छन्द,गीत,घनाक्षरी छन्द,गद्य लेख और लघुकथा,सूक्तियाँ आदि आप लिखते हैंl करीब २ साल से साहित्यिक लेखन में लगे हुए हैं और उप्र के तेलियलगंज(इलाहाबाद) में आपका रहना हैl
0
0
Post Views:
761
Fri May 26 , 2017
बिरहन के अंगन,बदरा क्यों बरसे, बरस कर उसके अंगन,क्यों हरषे। बिरहा की तपन न हिय से गई, बात जिया की पिया से कही न गई.. आग जिया की और बढ़ाई, तो क्यों बरसे ? ओ रे मेघा,संग लाओ पिया को, मुझ बिरहन से मिलाओ पिया से। तब अंगन में संग […]