
करो शब्दो का तुम प्रयोग
पड़ने वाला मंत्रमुक्त हो जाये।
तुम्हारे लिखे शब्दो का
दिल पर असर छा जाये।
बिना तारीफ किये तुम्हारी
वो बिल्कुल भी रह न पायेगा।
और साहित्यकरो के प्रति
दिलमें सम्मान जग जायेगा।।
लोगो की दुश्मनीयां वाणी के
शब्दो से मिट जाती है।
दुश्मन भी दोस्त बन जाते है।
शब्दो के महत्व को
जो भी समझते है।
दिल से वो सब लोग
बहुत ही संस्कारी होते है।।
शब्दो के जाल में बड़े बड़े
विव्दमान भी फस जाते है।
और अपने को वो शब्दो में
असहाय मेहसूस करते है।
तभी तो ज्ञान का कोई अंत
नहीं होता है जीवन में।
जब तक तुम रहो जिंदा
इसे अर्जित तुम करते रहो।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)