क्या खोया क्या पाया

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क्या खोया क्या पाया हमने,
आओ ज़रा विचार करें।
बीते साल के लेखे जोखे पर,
आओ सोच विचार करें।

मिली हैं खुशियां हमको कितनी,
कितने मिले हैं गम हमको।
किस किस ने हंसाया है हमको,
किस किस ने है रुलाया हमको।

विपदा में छोड़ा हाथ किसी ने,
किसी ने साथ निभाया है।
कौन है अपना कौन पराया,
ये परखना हमको आया है।

कुछ सपने साकार हुए हैं,
कुछ सपनों ने दम तोड़ा है।
खुशियों ने गले लगाया हमको,
गमों ने बेरहमी से तोड़ा है।

खूब रची रचनाएं हमने,
वाह वाह लूटी खूब है,
बीते बरस में हमने देखो,
नाम कमाया खूब है।

कोरोना ने हमें डरा कर,
ले ली हजारों जान हैं,
ना जाने कितने कष्ट दिए,
तोड़ा सबका अभिमान है।

करके बन्द घरों में हमको,
जीवन का मोल है समझाया।
अपनों के संग मिलजुल कर,
रहना प्रेम से सिखलाया।

प्रदूषण से मुक्त होकर,
धरती माँ मुस्काई है।
कोरोना ने आकर देखो,
सबको फटकार लगाई है।

विद्या के मंदिर में देखो,
भगवान नज़र ना आए हैं।
मंदिर सूना पड़ा है कब से,
भक्तों के दिल मुरझाये हैं।

कुछ तीखे से दर्द मिले हैं,
कुछ मीठे एहसास मिले।
जो बीत गया वो बीत गया,
अब ना हैं कोई शिकवे गिले।

स्वरचित
सपना स. अ.
जनपद- औरैया

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।