
क्या खोया क्या पाया हमने,
आओ ज़रा विचार करें।
बीते साल के लेखे जोखे पर,
आओ सोच विचार करें।
मिली हैं खुशियां हमको कितनी,
कितने मिले हैं गम हमको।
किस किस ने हंसाया है हमको,
किस किस ने है रुलाया हमको।
विपदा में छोड़ा हाथ किसी ने,
किसी ने साथ निभाया है।
कौन है अपना कौन पराया,
ये परखना हमको आया है।
कुछ सपने साकार हुए हैं,
कुछ सपनों ने दम तोड़ा है।
खुशियों ने गले लगाया हमको,
गमों ने बेरहमी से तोड़ा है।
खूब रची रचनाएं हमने,
वाह वाह लूटी खूब है,
बीते बरस में हमने देखो,
नाम कमाया खूब है।
कोरोना ने हमें डरा कर,
ले ली हजारों जान हैं,
ना जाने कितने कष्ट दिए,
तोड़ा सबका अभिमान है।
करके बन्द घरों में हमको,
जीवन का मोल है समझाया।
अपनों के संग मिलजुल कर,
रहना प्रेम से सिखलाया।
प्रदूषण से मुक्त होकर,
धरती माँ मुस्काई है।
कोरोना ने आकर देखो,
सबको फटकार लगाई है।
विद्या के मंदिर में देखो,
भगवान नज़र ना आए हैं।
मंदिर सूना पड़ा है कब से,
भक्तों के दिल मुरझाये हैं।
कुछ तीखे से दर्द मिले हैं,
कुछ मीठे एहसास मिले।
जो बीत गया वो बीत गया,
अब ना हैं कोई शिकवे गिले।
स्वरचित
सपना स. अ.
जनपद- औरैया