
नए साल का नया त्योहार लाऊंगा
करीब से देखो – बहुत सितारों में
मैं एक नई रोशनी लेकर आऊंगा
मैं तुम्हें न्याय के दिन के करीब लाऊंगा
मैं तुम्हारी इन बेदम सांसों के लिए एक उद्देश्य लाऊंगा
कड़वी यादें जो रह जाती हैं
मैं उन्हें भूलने का एक तरीका लाऊंगा
दुखी पृथ्वी पर,
मैं हँसी की आवाजें लाऊंगा
मैं दुखों और पछतावे को दूर करने की ताकत लाऊंगा
मैं ऐसे उत्तर लाऊंगा जो अब वीराने में हैं
मैं खुशी का कारण लाऊंगा
बारह महीनों में अगर मैं एक दुख ले आता हूं, तो मैं दो प्रसन्नता भी लाऊंगा
मैं हुसैन की व्यथा की याद को ताजा कर आऊंगा
मैं तुम्हारी कविता के लिए एक रिस्तेदार लाऊंगा
मैं नया साल हूं, मैं एक नई तारीख लाऊंगा – एक नया इतिहास रचाऊंगा
खान मनजीत भावड़िया नया परचम लहराऊंगा
खान मनजीत भावड़िया