बावरा मन

1 0
Read Time1 Minute, 44 Second

कैसा है यह मन बावरा, अनजाने डर से यह घबराता
न कोई अपना न कोई पराया, फिर भी ढूंढे यह साथी पहचाना
ना जाने कैसा है यह मन बावरा—-

पता है इसको माहौल पुराना कि जहाँ वाह वहां अफवाह
फिर भी अफवाहों से यूं ही डर जाता मेरा मन बेचारा
ना जाने कैसा है यह मन बावरा—-

लोगों ने ना जाने क्या-क्या कहा, बहुत कुछ बोला बहुत कुछ कहा
फिर भी मन में कुछ ना सुना, पर दिल नहीं हूं ही घबरा कर कहा–
” अब ना कहो तुम कुछ भी सह नहीं पाऊंगा
रुक जाओ तुम अब यही नहीं तो अश्रुधार बन जाऊंगा
दर्द होता है मुझको भी तुम्हारी इन अफवाहों से
क्योंकि पाषाण नहीं हूं मैं हूं मैं द्रवित मोम सखी
बात इतनी है नहीं जितनी तुम बताते हो
ना जाने क्यों तुम मेरी इतनी अफवाह उड़ाते हो
क्या मिलता है तुमको इसमें जो मुझे इतना सताते हो
सुकून तुम्हें शायद मिलता होगा पर चैन मेरा ले जाते हो”!
बस इन सब बातों से घबराता मेरा मन बावरा
और बेसिर पैर की अफवाहों से डर जाता मेरा मन बावरा!!”
अंत में मेरी यह दो लाइन कुछ लोगों को समर्पित–
“अफवाहों का बाजार गर्म है जरा संभलकर कदम बढ़ाइए
दिल किसी का ना दुखे जरा इस पर भी गौर फरमाइए”!!

   गुंजन शिशिर 
      वृंदावन, उत्तर प्रदेश

matruadmin

Next Post

नारी

Sun Dec 20 , 2020
नारी की शिक्षा। नारी नै ना समझो नादान यही सै भविष्य की पहचान यही सै उज्जवल भविष्य की शान यही सै देश की शान, बान, आन। नारी का बढ़ रहा सै सम्मान समाज में खुद की बना रही है पहचान इनके साथ होता रहा घोर अपराध शिक्षा से ही बनेगा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।