न जाने कहाँ गया बचपन ?

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tara prajapat
(बाल-दिवस विशेष)
न जाने कहाँ खो गया,
बच्चों का बचपन।
न जाने कहाँ से आ गया,
बच्चों में बड़प्पन ?
हैलो हाय के चक्कर में,
भूल गए करना नमन।
ईश्वर का दर्शन नहीं करते,
करते हैं सदा दूरदर्शन।
गुड मॉर्निंग उठते ही कहते,
करते नहीं अब अभिनंदन।
बुजर्गों के संस्कार इन्हें
लगते हैं पिछड़ापन।
रोबोट बन गया है जीवन,
कहाँ गया वो स्पंदन ?
आधुनिकता के रंग में रंगा है,
आज इनका तन-मन।
सही राह पे हमें है लाना,
इनका भटका जीवन।
गीली मिट्टी से हैं ये बच्चे,
चाहिए इन्हें बस अपनापन।
प्यार से इन पौधों को सींचो,
शुद्ध होगा तभी पर्यावरण।
                                                            #तारा प्रजापत ‘प्रीत’
परिचय: तारा प्रजापत ‘प्रीत’ का घर परम्पराओं के खास धनी राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ामें है। आपकी जन्मतिथि-१ जून १९५७ और जन्म-स्थान भी जोधपुर(राज.) ही है। बी.ए. शिक्षित तारा प्रजापत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। लेखन का उद्देश्य अभी तक तो शौक ही है।

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