‘हवाएं ज़ुल्म की उनको बुझा नहीं सकती’

0 0
Read Time6 Minute, 26 Second
IMG-20171016-WA0015
सब हेडिंग-राष्ट्रीय कवि चौपाल में ‘स्वागतम दीपोत्सव’ एवं डॉ. कलाम के जन्मदिवस पर हुआ कविताओं का वाचन
बीकानेर। राष्ट्रीय कवि चौपाल की ११५ वीं कड़ी रविवारीय को पंचवटी सादुल स्कूल भ्रमण पथ स्थित मैदान में आयोजित की गई।  कार्यक्रम में  स्वागतम दीपोत्सव एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को समर्पित त्रिभाषा काव्य गोष्ठी रखी गई।  इस अवसर पर  दीपावली और अब्दुल कलाम के कार्यों पर आधारित रचनाओं का वाचन नगर के तीन पीढ़ी के तीन भाषा के रचनाकारों द्वारा किया गया।
         संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष शायर क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि, कार्यक्रम मे मुख्य कवि के तौर पर हास्य व्यंग्य के वरिष्ठ कवि विजय धामिजा  ने अपनी हास्य व्यंग्य कविताओं के माध्यम से जहां एक तरफ श्रोताओं को हंसा- हंसाकर लोटपोट कर दिया,वहीं सामाजिक संदेश देकर उन्हें सही रास्ते पर चलने की सीख भी दी। आपकी इन  कविताओं ने श्रोताओं को भरपूर गुदगुदाया- ‘कल रात सपने में मेरी श्रीमती जी ने एक थप्पड़ मारा,आओ मिलजुल कर देखें अखंड भारत का सपना, रसोई की कड़ाही, पागल-सा आदमी, मूर्ख पति, परियां उड़ती है, गधे की सवारी, यह मेरी जान है,यह मेरे वर है, यह मेरे जानवर है’ जैसी रचनाओं ने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।
        कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिशासी अभियंता पंकजसिंह ने अपने उद्बोधन द्वारा पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। आपकी त्योहार दीपावली पर आधारित कविता की यह पंक्तियां ख़ूब सराही गई- ‘चंचला है वह मेरे घर क्यूं जाएगी /जो घर होगा जितना रोशन उसके घर में जाएगी।’
 मुख्य अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल. नवीन ने जहां अपने मधुर गीत से मधुरता घोली, वहीं राष्ट्रीय कवि चौपाल की उन्नति की कामना की। नौजवान शायर शाहबाज हसन ने अपना ये शे’र सुनाकर वाहवाही लूटी- ‘ख्वाबों से परे हकीकत में मिला करो/ दिलबर कहीं उल्फत से मिला करो। ‘ कार्यक्रम का संचालन करते हुए कासिम बीकानेरी ने अपने शे’रो-सुख़न के माध्यम से भगवान राम के मर्यादा पुरुषोत्तम रूप को सामने रखा। आपके गीत की ये पंक्तियां ख़ूब पसंद की गई-‘शबरी के झूठे बेर खाए राम जी/दीन दुखियों के काम आए राम जी।’ आपने अपनी ग़ज़ल के इस शे’र के माध्यम से चिराग़ रोशन करने की बात कही-‘हवाएं ज़ुल्म की उनको बुझा नहीं सकती / खड़े हैं जो भी मुक़ाबिल यहां हवा के चिराग़।’ कार्यक्रम में संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री श्यामसुंदर हाटीला ने स्वागत भाषण देते हुए  दीपावली पर्व के महत्व एवं पौराणिक इतिहास को सामने रखा।  संस्था संरक्षक नेमचंद गहलोत ने भी अपनी हास्य व्यंग्य कविता से श्रोताओं को भरपूर हंसाया।  कार्यक्रम में बाबूलाल छंगाणी ने- ‘इसी दिवाली मैं मनाऊं क्यों ?’,अब्दुल जब्बार बीकाणवी ने- ‘दिवाली का त्यौहार प्यार मोहब्बत का त्यौहार है’ और कैलाश टाक ने दीपावली पर हास्य रचना- ‘जब भी दिवाली आती है पास काम करने पड़ते हैं कुछ /नहीं तो श्रीमती जी हो जाती है उदास’ के माध्यम से श्रोताओं को खूब हंसाया। घनश्याम सिंह ने ‘एक वो भी दिवाली थी एक ये भी दिवाली है’ कविता सुनाई तो मधुरिमा सिंह ने कलाम को समर्पित कविता-‘हर आदमी का जन्म किसी न किसी उद्देश्य के लिए होता है’, वैद्य गोपीचंद ‘प्राणेश’ ने- ‘आ दिवाली’ रचना के माध्यम से काव्य गोष्ठी को परवान चढ़ाया। कवियित्री कृष्णा वर्मा और सरोज भाटी ने सरस्वती वंदना की इन पंक्तियों से बेहतरीन शुरुआत की- ‘वीणा वादिनी दर्श दिखा दो मन वीणा के तार सजा दो /अंधेरा छाया है घनेरा /ज्ञानदीप की ज्योत जला दो।’ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने ‘दीवाली के दीप दीप से रोशन हो हर गांव शहर घर’ रचना से दीपोत्सव पर घर, गांव शहर में दीपक जलाने का संदेश दिया। डॉ. प्रकाश चंद्र वर्मा,बच्छराज सोनी,माजिद ख़ान ग़ौरी,धर्मेंद्र राठौड़ और पुखराज सोलंकी सहित  शिव प्रकाश शर्मा,  नरेश कुमार खत्री और मोहन वैष्णव की कविताएं भी पसंद की गई।
कार्यक्रम में प्रशांत जैन, किशननाथ ‘खरपतवार’, लीलाधर सोनी, डॉ.तुलसीराम मोदी,के.के. सैनी,गोपाल स्वर्णकार,रामेश्वर सोनी,राजाराम बिश्नोई,फ़ज़ल मोहम्मद,नेमीचंद पंवार  रामकुमार और डॉ.ब्रह्माराम चौधरी सहित अनेक श्रोतागण मौजूद थे।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कार्तिक त्यौहार

Sat Oct 28 , 2017
आत्मिक सुख आशीष दे,मन में भरे मिठास। त्यौहारों में अग्रणी,आश्विन-कार्तिक मास॥ जग-जननी माँ अम्बिके,लेकर रुप अनेक। भक्तों को देती अभय,मिटा पीर प्रत्येक॥ विजयादशमी पर्व में,बने जगत श्रीराम। सत्य-धर्म की जीत से,गूँजे चारों धाम॥ सुधा-सिन्धु सम चन्द्रमा,शरद ऋतु की रात। हर ले जीवन की व्यथा,सुने हृदय की बात॥ राज सुहाग अखंड […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।