
दीप आंगन में अब जगमगाने लगे
दिल से दिल हम जरा मिलाने लगे
आ गई दीवाली सज गया बाजार भी
मिठाई एक दूजे को हम खिलाने लगे
जगमग रोशनी से सजी मीनार है
टिमटिमाते दिए भी अब लुभाने लगे
फुलझड़ी और पटाखों का अंबार है
हम हँसने लगे सभी को हँसाने लगे
मस्ती वाली ये धूम सारे बच्चों में है
फुलझड़ी और पटाखे सब जलाने लगे
ये खुशी का हमारे जो त्यौहार है
मिल जुल के दीवाली हम मनाने लगे
#किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट