दूसरे दिन

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देश ही नहीं विश्वभर में कोरोना वायरस (कोविड 19) से त्राहिमाम – त्राहिमाम मची थी | प्रधानमंत्री जी के आदेशानुसार देशभर में लॉक डाउन लगा दिया गया था | प्रधानमंत्री जी ने यह कड़ा कदम अपने देश वासियों की सुरक्षा को देखते हुए ही उठाया था | पुलिस प्रशासन कड़ी मेहनत व लगन से अपनी ड्यूटी निभा रहा था |

कांस्टेबल अमित सिंह गांधी चौराहे पर तैनात था | उसके सामने से कोई भी गुजरता चाहे बुड्ढा हो, जवान हो बगैर लट्ठ बजाये न निकलने देता |

आज तो अमित सिंह ने एक बूढ़े रिक्शा वाले की वो सुताई की कि बेचारे के मुंह में पानी डालना पड़ा | रिक्शा को तोड़-फोड़ के नगरपालिका की गाड़ी में डाल दिया गया और बूढ़े को बगल वाली नाली में, जब कभी उसे होश आया होगा तो उठकर चला गया होगा, नहीं तो किसी बड़े पेपर की दो लाइन वाली न्यूज बनकर रह गया होगा… |

दूसरे दिन कांस्टेबल अमित सिंह ने सुबह का खाना खाने के लिए जैसे ही सरकारी लंच पैक का डब्बा खोला उसका फोन बज उठा |

‘हैलो ! हाँ माँ बोलो ’…

उधर से रोने चीखने की आवाज सहित आदेश मिला –
‘बेटा जल्दी घर आ जाओ ! तेरे बापू घुटनों के दर्द की दवा लेने बाहर मैडिकल की दुकान पर गये थे किसी पुलिस वाले ने बहुत मारा है | लगता है बूढी हड्डियाँ टूट गई हैं |’

माताजी की करूणध्वनि सुनकर अमित सिंह का पसीना छूट गया | उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और घर की ओर दौड़ा दी… |

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।