बहाना

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जिसको नहीं होती काम की चाहत
उसको लगता काम है भारी आफत।

कल पर जो टाले आज का काम,
करते नहीं कोई काज ,खूब करते आराम।

बहाना हर बार बिगाड़ता काम कोई नया।
बहानेबाज को आज तक समझ ना आया।

जिसने किए बहाने हजार
उस पर रहता काल सवार।

स्वरचित एवं मौलिक।
रेखा पारंगी
बिसलपुर पाली (राजस्थान)

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