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खिलाफत करने वाले सब परों को
छांट देंगे हम।
बहा करके लहू अपना ,
धरा को पाट देंगे हम॥
उठी गर जो तिरंगे पर
कभी ऊँगली किसी की तो,
कसम माँ भारती की ,
हाथ उसका काट देंगे हम॥
#विवेक चौहान
परिचय : विवेक चौहान का जन्म १९९४ में बाजपुर का है। आपकी शिक्षा डिप्लोमा इन मैकेनिकल है और प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में नेपाल में ही कार्यरत हैं। बतौर सम्मान आपको साहित्य श्री,साहित्य गौरव,बालकृष्ण शर्मा बालेन्दु सम्मान सहित अन्य सम्मान भी मिले हैं। आपके सांझा काव्य संग्रह-साहित्य दर्पण,मन की बात,उत्कर्ष की ओर एवं उत्कर्ष काव्य संग्रह आदि हैं। आप मूल रुप से नई कालोनी (चीनी मिल कैम्पस) बाजपुर (जिला ऊधमसिंह नगर,उत्तराखण्ड)में रहते हैं।
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Wed Jun 14 , 2017
प्यार करो तो यूँ करो, ज्यों नीला आकाश। भेज रहा है मेघ को, नित धरती के पास॥ खूब जलाया मही को, बुझा रहा अब प्यास। मानो दिल के मिलन की, रुत आई है खास॥ हरियाली मदमस्त है, झरने गाएं गीत। नदियों से नाले मिले, खूब निभ रही प्रीत॥ दादुर गीत […]
विवेक जी सब जगह पोस्ट करके हमारे पास भेजने का क्या फायदा? जब गलतियां रह जाएं