कुदरत का कहर

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जो कुदरत पर कहर हमारा होता था
निर्मम वध इसान के द्वारा होता था
बल मिलता था इन पशुओ की हत्या में
जननी के द्वारा शिशुओ की हत्या में
केवल भंडारण दुनिया में दिखता था
नोटों से इन्सान यहाँ का बिकता था
माँ निर्मम हो कोख मारने वाली थी
ममता झूठा नाच दिखने वाली थी
इसीलिए ये सत्य बताने निकला हूँ
कुदरत से खिलवाड़ गिनाने निकला हूँ||1

कुदरत ने बदला लेने की ठानी है
अब उसकी होनी पूरी मनमानी है
आज जमाना अपने घर के अंदर है
अनुशासन में सारे आज सिकन्दर है
अमरीका हो रूस पाक या चीनी हो
कुदरत अपना कहर दिखाती है सबको
शेर बाघ चिड़िया ओर मकड़ी जाले में
क्यो बंद पड़े है मानव घर के ताले में
इसलिए उत्तर बतलाने निकला हूँ
कुदरत से खिलवाड़ गिनाने निकला हूँ||2

मंगल पर तो सब फिर से चढ़ जाऐंगे
भाईचारा गर सब मिल अपना लेंगे
मर्यादाएं आज पुनः स्थापित हो
आतंकी अड्डे सारे विस्थापित हो
भूखे नंगो पर अब शोषण बंद करो
ओजोन नाश हो ऐसा प्रदूषण बंद करो
भोजन से पशुओं के कलेवर बंद करो
मदिरा पर चड़ते ये जेवर बंद करो
इन यत्नो से विश्व बचाने निकला हूँ
कुदरत से खिलवाड़ गिनाने निकला हूँ||3
:- अरिहंत जैन ‘अमन’
परिचय
नाम- अरिहंत जैन
साहित्यिक उपनाम- अमन
वर्तमान पता- प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन इको कृष्णम कालोनी श्री राम कालेज के पास
राज्य- मध्य प्रदेश
शहर- सागर
शिक्षा- MSW
कार्यक्षेत्र- प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन (NGO) जबलपुर रीजनल हेड
विधा – ओज, सामाजिक दर्शन
प्रकाशन-
सम्मान-
ब्लॉग- Kviarihant
अन्य उपलब्धियाँ-
लेखन का उद्देश्य- कविता के जरिये सामाजिक मुद्दों को सामने लाना

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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