हुँकार

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जनता चुप क्यों है
हंसी ठिठोली बहुत हुआ,
अब गांडीव सी टंकार करों।
या केशव के पांचजन्य सा,
प्रलयी प्रचंड हुंकार करों।

वोटों के लालच में देखो,
घोषणा कैसी होती है।
देश द्रोहियों को भी अब,
फूलों की स्वागत होती है।

कोई भी उठ कर आता है,
उलूल जूलूल बक जाता है।
देशद्रोह कानून को भी,
खत्म करने की बात कर जाता है।

भारत की अपमान देखकर,
फिर भी जनता चुप क्यों है।
देशद्रोह कानून खत्म करने वाले की,
जीभ काटने में क्यो डर है।

कहें निकेश अब गरजेगे,
बनकर गांडीव की टंकार।
छोड़ेंगे नहीं अब उसको,
जो राष्ट्र से करें खिलवाड़।

निकेश सिंह निक्की समस्तीपुर बिहार

परिचय-
नाम निकेश सिंह निक्की
पिता श्री अरुण कुमार
ग्राम खोकसा रसलपुर थाना दलसिंहसराय जिला समस्तीपुर
कृति अखंड भारत (काव्य संग्रह)
जागो पुनः एक बार (काव्य संग्रह)
जनक्रांति (काव्य संग्रह)
पति परमेश्वर (समाजिक नाटक)
प्रकाशित दीक्षा प्रकाशन दिल्ली
राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।
संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहार नौजवान सेना समाजिक संगठन
सम्मान-साहित्य गौरव सम्मान
काव्य गौरव सम्मान
साहित्य सारथी गौरव सम्मान
साहित्य सागर सम्मान
महाकवि जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान
प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित

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