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अब
नहीं
होता
आहत
चिंतित
व्यथित,
बिचलीत
आतंकित
आशंकित
अचंभित
या किसी भी
कारण से क्रोधित।
क्योंकि अब हो गया हूँ
मैं जीत जागता महात्मा
जैसे कोई मृतात्मा।
-अजय प्रसाद
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