
फलां ने अपने समुदाय के भले का हवाला देकर दूसरे समुदाय वालों को खूब गालियां दीं।
दूसरे समुदाय वालों ने भी खूब मजमा काटा
बस्तियां जलीं
नौकरियां गईं
बहिष्कार हुआ
और, और भी बहुत कुछ हुआ जो नहीं होना चाहिए था पर हो भी वही सकता था।
तब फलाँ ने अपने समुदाय वालों से कहा
देखा मैंने सच ही कहा था न?
फिर ढिकां ने भी ऐसे ही किया
फिर दूसरे समुदाय वालों ने भी वैसे ही किया
फिर वही सब हुआ
तब ढिकां ने भी कहा
कि मैंने सच ही कहा था न?
लेकिन फिर हुआ ये कि एक दिन जनता जाग गई।
और उसने फलाँ और ढिकां दोनों को पकड़कर कूट दिया
तब से राज्य में शांति हो गई।