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जिंदगी की हकीकत कैसी एक पहेली है,
साथ सब हो फिर भी कुछ अधूरी है।
कोई जो किसी की खातिर सब छोड़ आता है,
दूसरा सब होते हुए कुछ और पा जाता है।
सिर्फ एक विश्वास का अहसास उन्हें जोड़ता है,
साथ-साथ चलकर बहुत दूर को मोड़ता है।
एक अथाह प्यार की डोर साथ होती है,
जो कभी-कभी बहुत छोटी महसूस होती है।
मन सिर्फ उनके प्यार का मोहताज होता है,
सब कुछ होकर भी इसके बिना कुछ न होता है।
क्यों आदमी इस प्यार को समझ नहीं पाता,
बाद में सिर्फ हाथ मलकर रह जाता।
माँ-बाप के प्यार को छोड़ हम उनसे बंधते हैं,
पर कभी-कभी थोड़े प्यार को तरसते हैं।
यही जिंदगी की अजीब पहेली है,
जो समझ गया वो जी गया..
जो न समझे तो जीवन व्यर्थ है॥
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।
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पहेली एक उम्दा रचना
बधाई…।