Read Time2 Minute, 21 Second
विषण गर्मी ने किया सभी का बेहाल।
आगे कैसे बच पाओगे गर्मी से अब तुम ।
काट काट कर पेड़ और पहाड़,
किया हमीने तो ये हाल ।
अब क्यो तुम रो रहे हो,
जब मिल रहे इसके बुरे परिणाम।।
बहुत कमाई दौलत तुमने,
इन प्रकृतिक सम्पदा से।
पर भूल गए तुम उसके दुष्परिणामो को,
जो अब आने वाले है।
कैसे बच पाओगे अब तुम
अपनी करनी से…?
दिया था विधाता ने हमें सब कुछ,
स्वास्थ्य प्रसन्न और खुश रहने के लिए।
पर हम ही न बचा सके, इस प्राकृतिक सौंदर्यकारण को।
किया इस का सत्यानाश,
अपने स्वार्थ के चलते। और उजाड़ दिये सारे, जंगल और हरेभरे वन।।
अब रो रहे हो अपनी करनी पर,
उस से होगा क्या ।
वक्त अभी है संभालने के लिए,
करो वृक्षरोपण तुम।
करो प्राश्चित अपने किये का,
करके आबाद जंगल और वन।
चारो तरफ़ फैल जाएगी सुंदर हरियाली,
सुंदर हरियाली……।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
Post Views:
698