फिर भी हम जगतगुरू

1 0
Read Time2 Minute, 36 Second

आज जनतंत्र-धनतंत्र हो गया ,
सुजनतंत्र- स्वजनतंत्र हो गया।
लोकतंत्र-थोकतंत्र बन गया ,
रामराज्य अब दामराज्य हो गया।
यह प्रजातंत्र ,
चन्द लोगों के लिए मजातंत्र है ,
बाकी लोगों के लिए सजातंत्र।
सस्ती के साथ मस्ती चली गयी,
और लाइफ को फाइल खा गई।
मूल्यवृध्दि, शुल्कवृध्दि, करवृध्दि से
कष्टवृध्दि हो रहा है ।
अफसर अजगर के प्रतिरूप हो गए,
एक बार फुफकारकर,
सीधे निगल जाते हैं।
हड़ताल अब हर ताल हो गया ,
न जाने कब ताण्डव शुरू हो जाय।
भरपेट भोजन प्लेटभर हो गया,
गोरस का स्थान कोरस ने ले लिया।

प्रेम सट्टा बाजार का सौदा हो गया,
विद्युत स्विच की भाँति,
जब चाहो ऑन करो,
जब चाहो ऑफ
वह चरमकोटि से चर्मकोटि पर आ गया।

यहाँ भाषण की अधिकता है,
राशन की न्यूनता।
महादेव क्षीरसागर में गोते लगा रहे हैं,
कुपोषित बच्चे यमराज को गले लगा रहे हैं।
क्षुधामृत्यु-वृथामृत्यु हो गई।
फिर भी,
हम जगतगुरू हैं,
महान हैं,प्रगति पर हैं।

किसमत्ती चौरसिया ‘स्नेहा’

परिचय –
सम्प्रति इलाहाबाद विश्वविद्यालय में डॉ. विजय कुमार रविदास के शोध निर्देशन में अब्दुल बिस्मिलाह के कथा साहित्य पर शोधकार्य में संलग्न हैं। जन्मतिथि १९जुलाई १९९७ और जन्मस्थान ग्राम कनेरी फूलपुर आजमगढ़ उत्तर प्रदेश है। पिता जी का नाम रामदवर चौरसिया और माता का नाम मोहनी देवी है। आजमगढ़ में गांव से ही स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त किया है। स्नातकोत्तर की शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१७-१९ में प्राप्त किया।इसके अतिरिक्त एनएसएस, कम्यूटर डिप्लोमा CCC और DCA भी किया है। पढ़ाई के साथ- साथ कविताएं एवं गीत लिखने का शौक है। कुछ कविताएं राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्र- पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं।

matruadmin

Next Post

महत्त्व

Tue Jul 21 , 2020
भूत – भविष्य की चक्की में पिस रही ज़िन्दगी, कौन समझता है- वर्तमान का महत्त्व दुख – दर्द की कहानी बन जाए उपन्यास, कौन समझता है – मुस्कान का महत्त्व जमाने की खुशी हेतु जान दे दी उसने, कौन समझता है यहां जान का महत्त्व, पसीने की खुशबू से भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।