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मधुर मिलन का ये महीना।
कहते जिसे सावन का महीना।
प्रीत प्यार का ये महीना,
कहते जिसे सावन का महीना।
नई नबेली दुल्हन को,
प्रीत बढ़ाता ये महीना।।
ख्वाबो में डूबी रहती है,
दिन रात सताती याद उन्हें।
होती रिमझिम रिमझिम
वारिश जब भी,
दिल में उठती तरंगे अनेक।
पिया मिलन को तरस रही है,
इस सावन के महीने में वो।।
रोग लगा है नया नया,
ब्याह हुआ है अभी अभी।
करे इलाज कैसे इसका,
मिट जाए ये रोग नया।
पिया मिलन तुम करवा दो,
सावन के इस महीने में।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
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