
मैं एक नारी हूं,
कर्तव्य पथ पर अडिग हूं,
संघर्ष पथ पर अटल हूं
सुख दुःख की सांझी हूं
हां मैं एक नारी हूं ।
अपनों की खातिर,
प्रीत निभाती,
हर फर्ज निभाती,
मुश्किलों को आसान बनाती,
होकर भी ना हो पाती,
हां मैं एक नारी हूं।
जीवन की बलि वदी पर,
ना जाने कितने जज़्बात,
यूं ही आए और चले गए,
जो संग रहे और कुछ छूट ग ए
हां मैं एक नारी हूं।
साया बन कर ,
हमसफ़र के साथ रहती सदा,
जीवन सफ़र में ना बिछड़ती सदा,
हां मैं एक नारी हूं।
सदियों से सताई हुई,
हिम्मत से काम ली हुई,
समाज की कल्पना का,
साकार रूप हूं
हां मैं एक नारी हूं।
रेखा पारंगी
बिसलपुर पाली (राजस्थान)