प्रेरणा परिवार गुरु सम्मान समारोह

6 0
Read Time3 Minute, 12 Second

हिसार |

नवोदित लेखकों को मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से पिछले इक्कीस साल से चलाए जा रहे मासिक काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अन्तर्गत नगर की प्रमुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रेरणा परिवार की जुलाई माह की मासिक काव्य गोष्ठी स्थानीय टाऊन पार्क में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ की अध्यक्षता में आयोजित की गई। मन्च संचालन जयभगवान लाडवाल ने किया । 
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित गोष्ठी में सेवानिवृत्त प्रिंसिपल डाॅ बलराज शर्मा, गोपाल कृष्ण प्रिंसिपल मोठ,मास्टर जयभगवान यादव व ओ पी जिन्दल माडर्न स्कूल में शिक्षक नवकांत को सम्मानित किया गया।
जयभगवान लाडवाल ने अपनी रचना ऐसे सुनाई।
प्यारा म्हारा देश है भीड़ पड़ी में देने साथ, कोरोना के टाइम उठे तो कर देते हाथ,जोड़ देते हाथ कहर कुदरत ने ढाया रुका पढ़ते ही सारा देश एक है पाया।
मास्टर जयभगवान यादव ने अपनी रचना सुनाई
हे! भगवान अपने निकाल बड़े बड़ों का गुमान दिया।
जो विज्ञान को ही सब कुछ मानते थे बता उन्हें भगवान दिया।।
संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ के भाव
ऐसे थे
यूं तो मेरे शहर का मौसम रहता है खुशनुमा।
बस पड़ोसी शहर की आबो-हवा ही ख़राब है।।
वीरेंद्र कौशल की रचना कुछ ऐसी थी
पति ने पत्नी से प्यार का इजहार किया, कितने वर्ष से दिल की गहराइयों से प्यार किया, ला तेरी नाजुक सी उंगलियां सहला दूं,शायद थक गई होगी मुझे नचाते-नचातेजाते।
ओ पी जे एम एस के कला शिक्षक की रचना ऐसे थी,
मैं कहूं कैसे तुमसे की जहर भेजता हूं अवसाद मारने की दवा हर शहर बेचता हूं।।
         इस अवसर पर बोलते हुए डॉ बलराज शर्मा ने कहा कि प्रेरणा परिवार जो यह कार्य कर रहा है,यह बहुत ही सराहनीय कार्य है , और समाज को मार्गदर्शन करने वाली रचनाएं पढ़कर नवोदित रचनाकार आगे बढ़ रहे हैं। मैं अपनी शुभकामनाएं प्रेरणा परिवार के प्रत्येक सदस्य को अपनी ओर से प्रेषित करता हूं। आज मेरे शिष्य द्वारा मुझे गुरु पर्व पर सम्मान देने के लिए मैं मेरे शिष्यों का धन्यवाद करता हूं
                    इस अवसर पर डां सुरेन्द्र कुमार खुन्डिया, अंशुल गौड़,सतपाल  राजेंद्र, अमित कुमार, दीपक जांगड़ा ने भी अपनी कविता सुनाई।

matruadmin

Next Post

जन्म और कर्तव्य

Mon Jul 6 , 2020
छोड़ दिया मेरा साथ, मुझे संसार में भेजकर। नये दिये माँ बाप, मुझे इस संसार में..।। खूब दिया स्नेह प्यार, मेरे पालन हारो ने। क्या कुछ नहीं किया, मुझे इंसान बनाने में। अपनी रो की इच्छाएं, मेरी इच्छाओं की खातिर। और मुझे बना दिया, एक काबिल इंसान ।। छोड़ दिया […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।