जन्म और कर्तव्य

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छोड़ दिया मेरा साथ,
मुझे संसार में भेजकर।
नये दिये माँ बाप,
मुझे इस संसार में..।।

खूब दिया स्नेह प्यार,
मेरे पालन हारो ने।
क्या कुछ नहीं किया,
मुझे इंसान बनाने में।
अपनी रो की इच्छाएं,
मेरी इच्छाओं की खातिर।
और मुझे बना दिया,
एक काबिल इंसान ।।
छोड़ दिया मेरा साथ,
मुझे संसार में भेजकर।।

आई जबजब कोई मुसीबत,
ढाल बने तब तब वो।
आंच न आने देते कोई,
मेरे आधार स्थाम जन।
तभी तो में कर जाता हूँ,
कठिन काम आसानी से।
और सफल हो जाता हूँ
उनके त्याग बलिदानों से।।
छोड़ दिया मेरा साथ
मुझे संसार में भेजकर।

मेरे जीवन के कर्ता धर्ता,
सदा रहते है वो बेचैन।
अब मेरा भी तो कुछ,
उनके प्रति बनता है फर्ज।
इसलिए में भी तो उन्हें,
सदा रखता हूँ अपने साथ।
घर आते जाते उन्हें
पहले करता हूँ प्रणाम।।
छोड़ दिया मेरा साथ
मुझे संसार में भेजकर।।

जय जिनेंद्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)

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