साहित्यकार प्रो. शरद पगारे आज प्रतिष्ठित ‘व्यास सम्मान’ से होंगे विभूषित

0 0
Read Time3 Minute, 24 Second

इंदौर। साहित्य के क्षेत्र में देश में ज्ञानपीठ के बाद सबसे बड़ा पुरस्कार माने जाने वाला के. के. बिड़ला फॉउंडेशन का वर्ष 2020 के लिए तीसवां ‘व्यास सम्मान’ भारत के जाने-माने साहित्यकार प्रो. शरद पगारे को 11 जनवरी को सायं 5 प्रेस क्लब इंदौर में एक गरिमामय कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन होंगी। के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। प्रो. शरद पगारे को व्यास सम्मान उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’ के लिए दिया जा रहा है। सम्मान के तहत के.के. बिड़ला फाउंडेशन मंजूषा, प्रशस्ति पत्र और 4 लाख रुपए की सम्मान राशि देता है।
समारोह के आयोजक इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने बताया कि इंदौर के प्रो. शरद पगारे पिछले लगभग 65 सालों से साहित्य साधना में रत हैं। अब तक उनके 8 उपन्यास,10 कथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त इतिहास पर उनकी 12 पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। गुलारा बेगम शरद जी का सबसे लोकप्रिय उपन्यास है, जिसके हिंदी में 11 संस्करण अब तक प्रकाशित हुए हैं। गुलारा बेगम उपन्यास पाठकों में इतना लोकप्रिय है कि इसका मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम और पंजाबी में अनुवाद हो कर प्रकाशन भी हुआ है।
प्रो. पगारे को देश में ऐतिहासिक उपन्यास लेखन की परंपरा को न केवल पुनर्जीवन दिया है वरन उसे नया मोड़ भी दिया है। आपने अपने उपन्यास लेखन में ऐसे चरित्रों पर कार्य किया है जो न अपने काल में महत्वपूर्ण होने के बाद उपेक्षित रहे। प्रो. पगारे ने उन्हें अपनी कलम से न्याय दिलाने का कार्य किया है।
प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित कृति ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’ मौर्य युग के वैभव से पाठक का परिचय कराती है। यह  उपन्यास इस लिए भी अत्यंत लोकप्रिय है, क्योंकि यह इतिहास में उपेक्षित नारी महान सम्राट अशोक की की मां धर्मा की कथा-व्यथा कहता है। इस उपन्यास का शीघ्र ही उडिय़ा भाषा में अनुवाद हो कर प्रकाशन हो रहा है।
सम्मान समारोह में शहर के गणमान्य जन सम्मिलित होकर प्रो. पगारे के कृतित्व का अभिनंदन भी करेंगे।

matruadmin

Next Post

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ . शरद पगारे को प्रदान किया गया के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन का व्यास सम्मान

Wed Jan 11 , 2023
यह मेरा नहीं मेरी रचनाधर्मिता का सम्मान है- डॉ. पगारे इन्दौर। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे को बुधवार शाम के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा प्रतिष्ठित तीसवाँ व्यास सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके उपन्यास ‘पाटलिपुत्र की साम्राज्ञी’ के लिए दिया गया। इंदौर प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागार में […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।