
इंदौर। साहित्य के क्षेत्र में देश में ज्ञानपीठ के बाद सबसे बड़ा पुरस्कार माने जाने वाला के. के. बिड़ला फॉउंडेशन का वर्ष 2020 के लिए तीसवां ‘व्यास सम्मान’ भारत के जाने-माने साहित्यकार प्रो. शरद पगारे को 11 जनवरी को सायं 5 प्रेस क्लब इंदौर में एक गरिमामय कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन होंगी। के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। प्रो. शरद पगारे को व्यास सम्मान उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’ के लिए दिया जा रहा है। सम्मान के तहत के.के. बिड़ला फाउंडेशन मंजूषा, प्रशस्ति पत्र और 4 लाख रुपए की सम्मान राशि देता है।
समारोह के आयोजक इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने बताया कि इंदौर के प्रो. शरद पगारे पिछले लगभग 65 सालों से साहित्य साधना में रत हैं। अब तक उनके 8 उपन्यास,10 कथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त इतिहास पर उनकी 12 पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। गुलारा बेगम शरद जी का सबसे लोकप्रिय उपन्यास है, जिसके हिंदी में 11 संस्करण अब तक प्रकाशित हुए हैं। गुलारा बेगम उपन्यास पाठकों में इतना लोकप्रिय है कि इसका मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम और पंजाबी में अनुवाद हो कर प्रकाशन भी हुआ है।
प्रो. पगारे को देश में ऐतिहासिक उपन्यास लेखन की परंपरा को न केवल पुनर्जीवन दिया है वरन उसे नया मोड़ भी दिया है। आपने अपने उपन्यास लेखन में ऐसे चरित्रों पर कार्य किया है जो न अपने काल में महत्वपूर्ण होने के बाद उपेक्षित रहे। प्रो. पगारे ने उन्हें अपनी कलम से न्याय दिलाने का कार्य किया है।
प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित कृति ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’ मौर्य युग के वैभव से पाठक का परिचय कराती है। यह उपन्यास इस लिए भी अत्यंत लोकप्रिय है, क्योंकि यह इतिहास में उपेक्षित नारी महान सम्राट अशोक की की मां धर्मा की कथा-व्यथा कहता है। इस उपन्यास का शीघ्र ही उडिय़ा भाषा में अनुवाद हो कर प्रकाशन हो रहा है।
सम्मान समारोह में शहर के गणमान्य जन सम्मिलित होकर प्रो. पगारे के कृतित्व का अभिनंदन भी करेंगे।
