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वतन की चाह में जो मगन हो गया
तिरंगे में लिपटा जिनका बदन हो गया
शत शत नमन वीर सपूतों को हमारा
तिरंगा ही जिनका कफन हो गया
लाडले ही रहे अपनी माँ पिता के
नतमस्तक जिनका गगन हो गया
बात ही क्या करें उनके हौसलों की
निछावर जिनका तन मन हो गया
हिफाजत में वो मेरे हिंदुस्तान की
और प्यारा सभी को चनम हो गया
#किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट
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