
दिल दहल रहा है देखकर दिल्ली के अस्तपतालो को।
सत्ता से बेदखल करो,इन झूठी मक्कार सरकारों को।।
मौत का अंबार लगे हुए है,शव बिस्तरों पर है पड़े हुए ।
शवों के बीच इलाज हो रहा,ये अस्तप्ताल बूचड़खाने बने हुए।।
चारो तरफ है चीत पुकार ,मरीज इलाज के लिए तड़फ रहे।
डॉक्टर एक दूजे को रेफर कर देते
जैसे जैसे मरीज है बढ़ रहे।।
खाली पड़े हैं बिस्तर फिर भी एडमिशन के लिए मना कर देते है
चल रही है धांधली बाजी,बिस्तरों की काला बाजारी करते हैं।।
जमा करा लेते है लाखो रुपए
फिर भी मरीज तड़फते रहते है।
कोई किसी की सुनता नहीं है बहरे गूंगे बने रहते है।।
और क्या दास्तां सुनाऊं इनकी,ईश्वर ही इनका मालिक है।
बन रहे थे तीर अंदाज,ये भी बूचड़खाने के भेजने लायक है।।
सुना रहा रस्तोगी आंखो देखा हाल, इन दिल्ली के अस्तप्तालो का।
विश्वास नहीं है तो जाकर देखो,और बताओ जनता को इनके बुरे हालो का।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम