माँ शारदे वरदान दो,
सद्बुद्धि दो संग ज्ञान दो..
मन में नहीं अभिमान हो
अच्छे-बुरे की पहचान दो।
वाणी मधुर रसवान दो,
मैं मैं का न गुणगान हों..
बच्चे अभी नादान हम,
निर्मल एक मुस्कान दो।
न जाने कि हम कौन हैं,
हमें अपनी पहचान दो..
अल्प ज्ञानी मानो हमें,
बस चरण में तुम स्थान दो।।
#कल्पना भट्ट
परिचय : पेशे से शिक्षिका श्रीमती कल्पना भट्ट फिलहाल भोपाल (मध्य प्रदेश ) की निवासी हैं। 1966 में आपका जन्म हुआ और आपने अपनी पढ़ाई पुणे यूनिवर्सिटी से 1984 में बी.कॉम. के रुप में की। विवाह उपरांत भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से बी. एड.और एम.ए.(अंग्रेजी) के साथ एलएलबी भी किया है। आप लेखन में शौकिया तरीके से निरंतर सक्रिय हैं।
सुन्दर सरस्वती वन्दना।
धन्यवाद् आदरणीय कपिल जी |