Read Time40 Second

प्रकृति की बात ही निराली
कभी खज़ाना न हो खाली
खनिज संपदा भरपूर देती
बदले में कुछ भी न लेती
दोहन कितना भी हम कर ले
आरी,कुदाली से वार कर ले
तनिक भी रुष्ट प्रकृति न होती
फिर भी हमे पोषण ही देती
मां का दूसरा रूप प्रकृति
अपने आंचल में छाया ही देती
पेड़ पौधो के धराशायी होने पर भी
फल,फूलों से झोली भर देती
पेड़ पौधों को बचा ले हम
प्रकृति का कर्ज उतारे हम।
#श्रीगोपाल नारसन
Post Views:
556