
कैसे कह दू मै ईद मुबारक,
जब चारो तरफ आफत आईं।
हर तरफ मौत का मातम पसरा,
हर कोने में अब मौत छाई।।
कैसे पहनूं मै नई नई पोशाकें,
जब मौत कफन ले आई है।
कंधे भी अब कम पड़ गए हैं
ये कैसी अब मुसीबत आई है।।
कैसे पहनूं नए जूते चप्पल,
जब मजदूर नंगा डोल रहा।
पावों में उसके छाले पड़े हैं,
हर शख्स यहां पर रो रहा।।
ईद मै अब कैसे मनाऊ ?
जब घर में मातम छाया है।
हर जगह मौत के ढेर लगे हैं,
कोई घर न खाली पाया है।।
कैसा छाया है मौत का खौफ,
कोई गले नहीं मिल रहा।
कर रहे है दूर से सलाम सभी,
कोई किसी के पास न आ रहा।।
हर तरफ गम का माहौल है,
ऐसे में कैसे ईद मनाउ मै।
घर घर मौत का मातम है,
कैसे ईद मुबारक दे आऊ मै।।
मुल्क में लॉक डाउन के कारण,
घर में सब लोग बन्द पड़े है।
बाहर कैसे निकले वे अब,
पुलिस के लोग बाहर खड़े है।।
चारो तरफ हाहाकार मचा है,
घर में इबादत मै कर रहा हूं।
मुल्क में हो अब जल्द सकून,
ऐसी दुआ मै अब कर रहा हूं।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम