मां

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नो माह की गर्भवती एक मां
खत्म हो चुकी रोजी समेटकर
अपने अंदर के हौंसले को जोड़कर
सिर पर ग्रहस्थी का गठ्ठर लिए
कोख में भूख से तड़प रहे बच्चे के
नवजीवन की आस लिए
लौट चली थी उस अतीत की ओर
जहां से कभी वह आई थी
रोजगार के सुनहरे सपने लेकर
हाड़तोड़ मशक्कत के बाद भी
उसे उम्मीद थी कि एक दिन
पूरे जरूर होंगे उसके देखें सपने
लेकिन नामुराद कोरोना
न जाने कहां से बिन बताए आया
उसके सपनो को चूर चूर कर गया
जब राशन के डिब्बे खाली हो गए
नेताओं के भाषण जबानी हो गए
जीवन मे घुप्प अंधेरा छाने लगा
तब मरती क्या न करती
चल पड़ी थी अपने गांव की ओर
कई सौ किमी था जिसका छोर
सड़के सुनी और खाली थी
पैदल चलना मां की लाचारी थी
भूख,प्यास, पसीने से लथपथ
असहनीय प्रसव पीड़ा झेलते हुए
मां का यूं आगे बढ़ते जाना
किसी भी शासन प्रशासन का
उसकी मदद के लिए हाथ न बढाना
व्यवस्थाओ को मुहं चिढ़ाता रहा
पर सहयात्रियों को तरस आता रहा
सड़क पर पैदल चलते चलते
आखिर वह अबला मां बन ही गई
उसकी गोद मे नन्ही जान आ ही गई
यह क्या मां ने हौंसला नही खोया
अपनी यात्रा को फिर आगे बढाया
चलती रही मील दर मील
नन्ही जान,गठ्ठर और खुद के लिए
मां शब्द को नई ताक़त देने के लिए
ऐसा ही एक ओर मां ने कर दिखाया
असंभव को भी संभव
लॉक डाउन में फंसे बच्चे के लिए
जा पहुंची बारह सौ मील दूर
एक अदद स्कूटर दौड़ाकर
न पैट्रोल की परवाह, न पंचर की
ओर न ही किसी परिणाम की
दरअसल वह एक मां है
बच्चे के लिए दे सकती है जान भी
ओर रच सकती है नया इतिहास भी।

श्रीगोपाल नारसन

परिचय: गोपाल नारसन की जन्मतिथि-२८ मई १९६४ हैl आपका निवास जनपद हरिद्वार(उत्तराखंड राज्य) स्थित गणेशपुर रुड़की के गीतांजलि विहार में हैl आपने कला व विधि में स्नातक के साथ ही पत्रकारिता की शिक्षा भी ली है,तो डिप्लोमा,विद्या वाचस्पति मानद सहित विद्यासागर मानद भी हासिल है। वकालत आपका व्यवसाय है और राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े हुए हैंl लेखन के चलते आपकी हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें १२-नया विकास,चैक पोस्ट, मीडिया को फांसी दो,प्रवास और तिनका-तिनका संघर्ष आदि हैंl कुछ किताबें प्रकाशन की प्रक्रिया में हैंl सेवाकार्य में ख़ास तौर से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए २५ वर्ष से उपभोक्ता जागरूकता अभियान जारी है,जिसके तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकरण के शिविरों में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैंl आपने चरित्र निर्माण शिविरों का वर्षों तक संचालन किया है तो,पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वास के विरूद्ध लेखन के साथ-साथ साक्षरता,शिक्षा व समग्र विकास का चिंतन लेखन भी जारी हैl राज्य स्तर पर मास्टर खिलाड़ी के रुप में पैदल चाल में २००३ में स्वर्ण पदक विजेता,दौड़ में कांस्य पदक तथा नेशनल मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप सहित नेशनल स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी भागीदारी रही है। श्री नारसन को सम्मान के रूप में राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ.आम्बेडकर नेशनल फैलोशिप,प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान के साथ भी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर(बिहार) द्वारा भारत गौरव

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