क्या लाॅकडाउन की राहत बढ़ने से बढ़ गई है लापरवाही?

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  सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी वाली कहावत चरितार्थ होने जा रही है। क्योंकि सम्पूर्ण लाॅकडाउन से नागरिक ऊब चुके हैं। जिसके फलस्वरूप लापरवाह होना स्वाभाविक है।
  महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पिछले दिनों निरंतर घरों में कैदियों की भांति बंद रहने के कारण बहुत से महिला-पुरुष मानसिक रूप से बीमार हो चुके हैं। क्योंकि अकस्मात उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों से तनाव बढ़ जाता है। जिस पर सामन्य मानव नियंत्रण नहीं रख पाता और तनाव के गहरे पानी में डूब जाता है। जिससे निजात पाने के लिए लापरवाही लाभकारी है।
  चूंकि मस्तिष्क को आराम तभी मिलेगा। जब उस पर दवाब कम पड़ेगा। स्पष्ट कहें तो जब मस्तिष्क लापरवाह होगा। वह डर से डरना छोड़ देगा।
  अतः आगे-आगे यही होने वाला है। चूंकि लाॅकडाउन की राहत बढ़ गई है। जिससे लापरवाही भी स्वाभाविक बढ़ेगी। जिससे हमें दुर्घटनाओं की चुनौतियों का सामना करना ही पड़ेगा।

इंदु भूषण बाली

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।