कातिल निगाहें

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निगाहें बहुत कातिल है,
किसी को क्या मरोगी।
और इल्जाम इसका तुम,
न जाने किस पर डालोगी।
जबकि कातिल तुम खुद हो,
क्या तुम अपने को पहचानोगे।
और कातिल निगाहों से,
कितनो को और मरोगी।।

तेरा यौवन बहुत सुंदर है,
जो सब को लुभाता है।
देख तेरे होठो की लाली,
दिलमें गुलाब सा खिलता है।
चलती हो लहराकर जब तुम,
दिलों में फूल खिलते है।
देखने तेरा हुस्न को यहां,
लोग इंतजार करते है।।

टूट जाएगी लोगो की आस,
जब तू और की हो जाओगी।
और छोड़कर अपना शहर ,
उसके शहर चली जाओगी।
और चाँद सा सुंदर चेहरा,
उसके आंगन में चमकाओगी।
और चाँद देखकर वो भी,
तुम से शर्मा जाएगा।
और तेरा दीवाना वो,
हमेशा के लिए हो जाएगा।।

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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