नन्हे राजकुमार

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मेरे नन्हे से राजकुमार
करता हूं मैं तुमसे प्यार

जब भी देखूं मैं तुझको
ऐसा लगता है मुझको
था मैं अब तक बेचारा
और क़िस्मत का मारा
आने से तेरे हो गया है
दूर जीवन का हर अंधियार
मेरे नन्हे से राजकुमार…

मेरे दिल की तुम धड़कन
तेरी हंसी से मिटती थकन
प्यारी लगे तेरी शरारत
तुम हो जीवन की ज़रूरत
तुझको देकर मेरे खुदा ने
दिया है अनमोल उपहार
मेरे नन्हे से राजकुमार…

लाड़ले जब भी तुम हो रोते
मेरे दिल के टुकड़े हैं होते
तेरे लिए बन जाऊं मैं घोड़ा
पापा हूं तेरा दोस्त भी थोड़ा
आ जाओ कर लो मेरी सवारी
तुम बनकर घुड़सवार
मेरे नन्हे से राजकुमार…

✍️ आलोक कौशिक

संक्षिप्त परिचय:-

नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित
बेगूसराय(बिहार,)

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