प्रेम है तो प्यास है प्रेम ही विश्वास है प्रेम है तो ईश्वर है प्रेम ही अरदास है प्रेम ही परमानंद यह परम योग है प्रेम ही परमात्मा यह परम संयोग है प्रेम ही है अवनि प्रेम से आकाश है प्रेम ही है अग्नि प्रेम से प्रकाश है प्रेम ही […]

नहीं लगा पाओगे इसका अनुमान कौन है जहान में कितना परेशान किसी के जीवन में है कितनी खुशी अंदाज़ा ना लगाना देख उसकी हँसी चाहत नहीं होती फिर भी चाहना पड़ता है ग़मों को छिपाकर मुस्कुराना पड़ता है बहते हैं उनके अश्रु भी जो सुख में जीवन जीते हैं दिखें […]

होता है वो आदमी बहुत भाग्यशाली नसीब होती है जिसे ससुराल में साली लगे ग्रीष्म ऋतु में जैसे शीतल पवन वैसी ही लगती है वामांगी की बहन कुरूप व्यक्ति को भी कहती है मनोहर बुढ़ापे में भी लगती है साली सबसे सुंदर दामाद बिन बुलाए भी ससुराल चला आता जब […]

हो जाती है हर किसी से कोई-ना-कोई नादानी आती है जब जीवन में खिलती हुई जवानी मोहब्बत भी लेती है पहली बार अँगड़ाई छूती है जब प्यार से जिस्म को तरुणाई पतझड़ का मौसम भी उसे लगता है सावन बहार बनकर आता है जिस किसी पर यौवन हर पल होता […]

किसी देश का फ़ौजी हो या हो कहीं का किसान यह ज़रूरी नहीं है वह होगा अच्छा इंसान पेशे से नहीं बनती इंसान की परिभाषा हर पुष्प की नहीं होती एक जैसी अभिलाषा बेइमानों की जहान में मुश्किल है पहचान किंतु सत्य यह भी है सब नहीं एक समान इंसानियत […]

वो हैं सबसे अच्छे वो सबसे प्यारे हैं पापा के पिताजी दादाजी हमारे हैं जागते हैं सवेरे भजन सुनाते हैं जगाकर मुझको योग करवाते हैं होती है शाम जब मैदान लेकर जाते हैं खुद तो चलते हैं धीरे मुझको दौड़ाते हैं खेलते हैं मेरे संग कहानियाँ सुनाते हैं पढ़ना भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।