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लॉक डाउन है,घर से निकलते क्यों हो |
फिर बेबजह पुलिस से इलझते क्यों हो ||
मालूम है तुमको कोरोना कहर ढा रहा |
फिर मौत को गले लगाते क्यों हो ||
घर में है जब सुंदर सी पत्नि तुम्हारी |
फिर बाहर जाकर इश्क लडाते क्यों हो ||
बूढ़े हो गये जवानी ढल गयी है तुम्हारी |
फिर आईने के सामने संवरते क्यों हो ||
चैट करके इश्क करते हो मोबाइल पर |
फिर इश्कियो से मुलाकात करते क्यों हो |
मिलेगे जरूरी सामन तुम्हे अपने घर पर |
फिर भी घर से तुम निकलते क्यों हो ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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