पिता का चिंतन

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  1. मैं जनमानस में पुत्रजन्म की ही क्यों लगन देखता रहा |
    उनके जन्मोत्सव पर मनाते जश्न में क्यों मग्न देखता रहा|
  2. अब जाकर मै विचारों से अधिक यथार्थ में उतर पाया हूँ,
    कामपिपासु नजरों का होते कृत्य जघन देखता रहा |

3.हाँ हर रोज रंगे रहते है अखबार जिन रक्तिम खबरों से,
पढकर उन्हे मन में उठी दहशतभरी सिहरन देखता रहा |

  1. जाने कब जाग उठे किसी दिल में वहसी हैवानियत,
    मतलब के बनते रिश्तों से विश्वास की कतरन देखता रहा |
  2. क्रमश: निर्भयाओं का होता रहा ऐसा बेख़ौफ अंजाम ,
    दहश्तगर्दी में पिता की अनवरत बढती धड़कन देखता रहा|
  3. पुत्री को जब लिंगभेदी वर्जनाए समझाने में लाचार हुआ,
    नादान बालमन का आक्षेपक सुन तड़पन देखता रहा |

7.”सीमा”पतन तो हो रहा है संस्कृति और संस्कारों का,
तभी तो आज जिंदा कन्या भ्रूण का दफन देखता रहा |

परिचय
सीमा लोहिया
न्यू हाऊंसिंग बोर्ड कॉलोनी
झुंझूनू, (राजस्थान)

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।