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मेरे मौला बख्श दे नेमत,अपनी खुदी दिखा दे,
नफरत नाम का लफ्ज तू,दुनिया से आज मिटा दे।
बदल दे पेशानी इन्सा की,हर गम को मिटा दे,
हिंसा,नफरत बहुत हो चुकी,थोड़ा प्यार सिखा दे।
बहुत बनाए मजहब आदमी,तू कुछ इन्सा बना दे,
तेरा ही है ये निजाम,तू सबको आज बता दे।
तूने तो खुशियाँ सौंपी थी,हमने गम में बदल डाला,
बस इतना कहता हूँ मौला,तू जीना हमें सिखा दे।
#प्रवीण द्विवेदी
परिचय : प्रवीण द्विवेदी उ.प्र के बाँदा में रहते हैं और शौकिया लिखते हैं। आपने हिन्दी से एमए किया है,साथ ही बीएड भी शिक्षित हैं।
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