मेरा तीर्थ

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“सुना है कि तुम तीर्थ पर गए थे ?”

“सही सुना है तुमने “

“कौन से तीर्थ पर गए थे ?”

“गांव ।”

“गांव ! गांव कोई तीर्थ होता है क्या ?”

“हाँ…”

“वो कैसे ?”

“क्योंकि वहाँ मेरे माता-पिता रहते हैं।”

राम मूरत ‘राही’,

इन्दौर

परिचय-

नाम — राम मूरत ‘राही’
लेखन –बाल कहानियाँ, लघुकथाएँ, गज़लें, लेख, कविताएँ, व्यंग्य इत्यादि।

प्रकाशन — देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में।

संग्रह/संकलन — एकल लघुकथा संग्रह ‘अंतहीन रिश्ते’, एक साझा लघुकथा संकलन एवं दो साझा कविता संकलन।
पुरस्कार/सम्मान — अखिल भारतीय माँ शकुंतला कपूर स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता (हरियाणा) में, ‘श्रेष्ठ लघुकथा’ का पुरस्कार। क्षितिज साहित्य मंच, इंदौर व्दारा ‘लघुकथा विशेष उपलब्धि सम्मान’। पत्र लेखक मंच जावरा (मप्र) व्दारा सर्वाधिक पत्र लेखन का पुरस्कार। श्री माणिकचन्द्र वाजपेई (मामाजी) पत्र लेखन सम्मान (इंदौर)। नईदुनिया (इंदौर) में दो बार एवं दैनिक ट्रिब्यून (चंडीगढ़) में एक बार पुरस्कृत पत्र प्रकाशित।
संप्रति — म.प्र.पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से अति.कार्या.सहा.– दो के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त।स्वतंत्र लेखन।
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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