ऋतुराज बसंत

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बसंत ऋतु आए, सुवासित वातावरण लाए!
ऋतु शिरोमणि के रूप में, ऋतुराज कहलाएँ!!

शरद ऋतु की कंपन से,
भीषण ठंड दूर करे !

सृष्टि में नवीनता से,
ऋतु बसंत प्रतिनिधि हो !!

न विशेष गर्मी है,
और न ही ठंड है बसंत !

बच्चे, बूढ़े, युवक – युवतियां,
सभी के मन को आकृष्ट है बसंत !!

बसंत ऋतु आए, सुवासित वातावरण लाए!
ऋतु शिरोमणि के रूप में, ऋतुराज कहलाएँ!!

शरद ऋतु में झड़ गए पत्ते ,
नए पत्ते ऋतु बसंत लाए !

नए – नए रंग – बिरंगे से ,
पुष्पों को ऋतुराज खिलाएं!!

ऋतुराज के स्वागत में,
धरा खुशी से झूम उठे !

पेड़-पौधे, फूल- पत्तियों से,
उपवन ख़ुशी से नाच उठे !!

बसंत ऋतु आए, सुवासित वातावरण लाए!
ऋतु शिरोमणि के रूप में, ऋतुराज कहलाएँ!!

ऋतुराज के आगमन से,
सम्पूर्ण जनमानस सुमधुर हो !

सौंदर्य व रंग – रूप से,
संपूर्ण धरा प्रफुल्लित हो !!

सभी का मन मोह लेती,
प्यारी पंछी कोयल रानी !

चारों ओर मधुर कुक से,
गूंज उठा बसंत राज !!

बसंत ऋतु आए, सुवासित वातावरण लाए!
ऋतु शिरोमणि के रूप में, ऋतुराज कहलाएँ!!

खेतों में चारों ओर,
पीली सरसों फूल उठी !

प्रकृति ने पूरी धरा पर,
पीली ओढ़नी पहना दी !!

नई स्फूर्ति, नई चेतना से,
श्रेष्ठ हो ऋतु बसंत !

स्वास्थ्य की दृष्टि से,
सर्वश्रेष्ठ है ऋतु बसंत !!

बसंत ऋतु आए, सुवासित वातावरण लाए!
ऋतु शिरोमणि के रूप में, ऋतुराज कहलाएँ!!

कवियों और साहित्यकारों ने,
प्रशंसा में की अनेकों रचनाएं !

उत्साहवर्धक, प्रेरणादायक से,
अत्यंत रोचक है ऋतु बसंत!!

बसंत ऋतु आए, सुवासित वातावरण लाए!
ऋतु शिरोमणि के रूप में, ऋतुराज कहलाएँ!!

#कुमार जितेन्द्र “जीत”
सिवाना, जिला बाड़मेर (राजस्थान)

परिचय-
नाम : कुमार जितेन्द्र “जीत” (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक – गणित)

माता एवं पिता का नाम : माता पुष्पा देवी व पिता – माला राम

शिक्षा – स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड(यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल – एम. डी. एस. यू. अजमेर) !

निवास – साईं निवास ग्राम मोकलसर, तहसील – सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान)

संप्रति- वरिष्ठ अध्यापक (गणित) – मेराम चंद हूंडिया रा. बा. उ. मा. वि. मोकलसर (बाड़मेर)

सम्मान : देश भर की विभिन्न संस्थाओ द्वारा काव्य, आलेख लेखन में अब तक 110 सम्मान पत्र l

शिक्षा में शून्य निवेश से नवाचार करने पर राष्ट्रीय स्तर पर ZIIEI द्वारा “शिक्षक नवाचार राष्ट्रीय पुरस्कार” से सम्मानित

प्रकाशन :- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं (USA से प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्र – हम हिंदुस्तानी व देश, प्रदेश के अन्य समाचार पत्र, दिल्ली से प्रकाशित मासिक पत्रिका “आलोक पर्व” में महत्वपूर्ण आलेख) में संपादकीय पृष्ठ पर विश्लेषण, कविताएँ प्रकाशित l

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मौत से लड़ना क्या , मौत तो एक बहाना है, जिन्दगी के पन्नों में, कब क्या हो जाए, ये न तो मै जानता न तुम, उल्फत न मिलती , जिवन के रुसवाईयो मे, हर जहा हमे पता होता , जिवन के रह्नुमाईयो मे, मौत से मुड़ना क्या, आरजू , गुस्त्जू […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।