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नल के जल को भी गंगाजल समझिए।
भूलकर भी न दुश्मन को निर्बल समझिए।।
जो हो गया सो हो गया, मत रोइए,
मिले हुए हर फल को कर्मफल समझिए।।
सवालों के शूल से दिल घायल न हो,
इक सवाल को दूसरे का हल समझिए।।
‘सावन’ सुख से सोइए सूखे बिस्तर पर,
फटे पुराने चादर को मखमल समझिए।।
खाली है हथेली तो हवेली कहां,
उजड़े छप्पर को ताजमहल समझिए।।
सुनील चौरसिया ‘सावन’
प्रवक्ता, केंद्रीय विद्यालय टेंगा वैली अरुणाचल प्रदेश।
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)
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