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लक्ष्य को पाने के लिए
चल पड़ो, जिधर लें चले कदम,
सुबह शाम की हो फिकर
न धूप छाँव का हो असर,
स्निग्ध सी मुस्कान हो,
हौसला बुलंद हो
जीत का जुनून हो
चलते रहो बढ़ते रहो
हृदय में सुंदर गान हो,
अवसान भी हो जाये तो,
चलते रहो,चलते रहो,
मुश्किलें गर लाख आये
कंटक बिछे हो राह में,
न हो हाथ कोई हाथ में,
न होना विचलित कभी
डिगो नहीं, न उदास हो,
चलना ही अपना धर्म है,
श्रम से साधे ,वही कर्म है,
सत्य अन्वेषण करो,
जीवन के धारा प्रवाह में–
चलते रहो,बढ़ते रहो।
कश्ती तेरी छोटी सही,
रक्तिम भले आकाश हो,
नदिया की बहती धार संग,
बहते चलो,बढ़ते चलो।
मंज़िल तुझे पुकार रही
बढ़ते चलो चलते चलो
#नीरा जैन
पता जयपुर (राजस्थान)
शिक्षा Ba Ma BJMC MJMC…..
लेखिका कवियत्री एंकर मोटिवेशनल स्पीकर ओर आकाशवाणी जयपुर में उदघोषक
प्रकाशन ..समाचार पत्र पत्रिकाओ में लेख प्रकाशित
सदल सुगंध.शब्द शब्द महक.साहित्य उदय , साहित्य कुंदन संगम संकल्पना सांझा काव्य संग्रह में रचनाये प्रकाशित
पुस्तक करियर इन मीडिया प्रकाश्य
विश्व हिन्दी रचनाकार मंच से वरिष्ठ हिंदी कवियत्री सम्मान
कविता लोक सृजन संस्थान से साहित्य सुधाकर संम्मान
कृतिकार संस्थान की तरफ से साहित्य कुंदन पुरस्कार
पर्यावरण. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.कन्या भ्रूण जैसे मुद्दों पर जागरूकता को आगे बढ़ाया।
समाज सेवा…बच्चो ओर महिलाओ के विकास के लिए कार्यरत
हरियाणा करनाल से महिला सशक्तिकरण पर कार्य करने हेतु राष्ट्र रतन पुरस्कार से सम्मानित
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Thu Jul 26 , 2018
कोई कर्म बुरा न हो कोई शत्रु हमारा न हो मीत करे हर किसी से कोई अपना ,पराया न हो भाषा संयम बनाकर रखे मुंह मे मिठास घोलकर रखे गैर भी अपना मानने लगे बेगानेपन का साया न हो परमात्मा को भूले नही जमीन अपनी छोड़े नही निरहंकार भरा जीवन […]